मुसलमानों का पहला क़िब्ला ख़तरे में
अल अक़सा फ़ाउंडेशन नें मुसलमानों के पहले क़िब्ले के लिये ज़ायोनी सरकार की ख़तरनाक साज़िशों की तरफ़ इशारा करते हुए ऐलान किया है कि 8 अक्तूबर को 90 इस्राईली फ़ौजी ज़ायोनियों की ख़ुफ़िया एजेंसियों के तीस लोगों के साथ मस्जिदे अक़सा की सीमाओं का अपमान करते हुए मस्जिद में घुसे और उनके बाद बीस हिंसक ज़ायोनी छात्र मस्जिद के सहन में घुसे।
टीवी शिया अबना की रिपोर्ट के अनुसार अल क़सा फ़ाउंडेशन नें मुसलमानों के पहले क़िब्ले के लिये ज़ायोनी सरकार की ख़तरनाक साज़िशों की तरफ़ इशारा करते हुए ऐलान किया है कि 8 अक्तूबर को 90 इस्राईली फ़ौजी ज़ायोनियों की ख़ुफ़िया एजेंसियों के तीस लोगों के साथ मस्जिदे अक़सा की सीमाओं का अपमान करते हुए मस्जिद में घुसे और उनके बाद बीस हिंसक ज़ायोनी छात्र मस्जिद के सहन में घुसे।
ज़ायोनी छात्र फ़ौज की सुरक्षा में मस्जिद के विभिन्न भागों में घूमते रहे हालाँकि क़ुद्स के दीनी मदरसे के सैंकड़ों छात्र इसमें शिक्षा प्राप्त कर रहे थे।
ज़ायोनियों के प्रवेश के बाद मुस्लिम छात्रों नें प्रतिक्रिया दिखाते हुए अल्लाहो अकबर के नारे लगाए।
अलक़सा फ़ाउंडेशन नें कहा है कि इस तरह की कार्यवाहियां प्रतिदिन दोहराई जा रही हैं और मुसलमानों को चेतावनी दी जाती है कि ज़ायोनियों के इन अपमान जनक कामों का उद्देश्य क़ुद्स को बाँटने के सिवा कुछ नहीं है इसलिये मुसलमानों को सही प्रतिक्रिया देनी चाहिये और क़ुद्स के मुसलमानों की एक बड़ी संख्या को इस मस्जिद में ज़्यादा से ज़्यादा जाना चाहिये।
इस फ़ाउंडेशन नें कहा है कि मस्जिदे अक़सा में घुसने की ज़ायोनी अपमान जनक कार्यवाही पिछले सप्ताहों के दौरान बढ़ौत्तरी हुई है और इसका कारण ज़ायोनी संसद के आन्तरिक कमीशन की वर्तमान बैठक है जिसमें ज़ायोनियों से कहा गया है कि जुमेरात के दिन मस्जिदे अक़सा पर बड़ा हमला करने के लिये तैयारी की जाए।
उधर क़ुद्स शहर के धार्मिक प्रचारक बोर्ड के सिक्रेट्री जनरल अब्दुर्रहमान अबाद नें 2010 में कहा था कि ज़ायोनी सरकार नें इस्लामी दुनिया के 150 ऐतिहासिक स्थानों को यहूदी ऐतिहासिक स्थानों का हिस्सा बना दिया है जो इतिहास पर ज़ायोनियों की बर्बरता है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि ज़ायोनी सरकार फ़िलिस्तीनियों के 20 हज़ार घरों को भी नष्ट करना चाहती है जिनमें से ज़्यादातर घर अब तक नष्ट किये जा चुके हैं।
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