बहाने बाज़ी
बहाने बाज़ी
जुनेद बग़दादी कहते हैं मुझे शैतान से मुलाक़ात का शौक़ था एक दिन मैं मस्जिद के द्वार पर खड़ा था कि अचानक एक बूढ़ा दूरे से आता हुआ दिखाई दिया, जब वह क़रीब आया तो उसे देख कर मुझे डर लगने लगा।
मैने उससे पूछाः तुम कौन हो?
उसने उत्तर दियाः मैं तुम्हारी उम्मीद और चाहत जिसकी तुम प्रतीक्षा कर रहे थे मैं शैतान हूँ।
मैने पूछाः तुझ पर ख़ुदा की लानत हो तूने हज़रत आदम (अ) को सजदा क्यों नहीं किया?
उसने कहाः हे जुनेद मैंने ख़ुदा के अतिरिक्त किसी और को सजदा करना सही नहीं समझा।
जुनेद कहते हैं मैं उसका उत्तर सुन कर हैरान रह गया, और सोचने लगा कि उसकी बात तो सही लगती है, लेकिन अचानक मेंरे दिमाग़ में एक बात आई मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मुझे आवाज़ देकर कह रहा है कि उसके उत्तर में कह दो कि तुम झूठ बोल रहे हो अगर तुम ख़ुदा के सच्चे बंदे होते तो ख़ुदा के आदेश का पालन करते और उसकी अवहेलना नहीं करते और इस बात की आवश्यकता नहीं होती कि तुम ख़ुदा के क़रीब होने के लिए इस प्रकार की बहानेबाज़ी करो।
जब शैतान ने यह बात सुनी तो एक चीख़ मारी और कहाः ख़ुदा की क़सम जुनेद तुमने मेरी जान जला दी और यह कह कर ग़ायब हो गया।
(तज़केरतुल औलिया जिल्द 2 पेज 13 इबलीस नामा पेज 27 से लिया गया )
इस कहानी से हमको सबक़ लेना चाहिए कि जो हम अहलेबैत (अ) से मोहब्बत के नाम पर आमाल से मुंह चुराते हैं और कहते हैं कि हमारा अक़ीदा अच्छा हैं हम अहलेबैत (अ) के मानने वाले हैं तो अब हमको नमाज़ रोज़े हज .... आदि की क्या आवश्यकता है वह तो हमारी शिफ़ाअत करवा ही देंगे
यह केवल एक शैतानी बहानेबाज़ी है क्योंकि अगर हम अहलेबैत (अ) के सच्चे मानने वाले होते तो उनके अदेशों की अवहेलना नहीं करते।
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