इमाम जवाद (अ) के कथन भाग 4

इमाम जवाद (अ) के कथन भाग 4

۳۱۔ قال جوادالأئمة علیه السلام:

«أوصیک بتقوی اللّه فانّ فیها السّلامة من التّلف و الغنیمة فی المنقلب»

31. मैं तुमको वसीयत करता हूँ तक़वा और परहेज़गारी की, क्योंकि तक़वे से तुम बरबाद होने से बच जाओगे, और दिनों के परिवर्तन से लाभ भी उठाओगे (यानी ज़माने का बदलना तुमपर कोई प्रभाव नहीं डाल सकेगा)

۳۲۔ قال علیه السلام:

بالتّقوي نجي نوح و من معه في السفينة و صالح و من معه من الصاعقة و بالتقوي فاز الصّابرون و نجت تلك العُصب من المهالك۔

32. तक़वा और परहेज़गारी के माध्यम से नूह (अ) और जो लोग उनके साथ कश्ती में थे ने नजात पाई, और सालेह (अ) और उनके साथियों ने बिजली के अज़ाब से (जो उसको समाप्त करने के लिए आ रहा था) नजात पाई और तक़वा के माध्यम से संयम और धैर्य रखने वाले सफ़ल होते हैं, और इसी रास्ते से बहुत से लोग विनाश से बचते हैं।

۳۳۔ قال علیه السلام:

مَن شهد أمراً فكرهه كان کمن غاب عنه، و من غاب عن أمر فرضيه كان كمن شهده؛

33.जो किसी चीज़ मे हाज़िर हो लेकिन उसको पसंद ना करे (यानि केवल शारीरिक रूप से उपस्थित रहे) वह अनुपस्थित की तरह है, और जो किसी चीज़ में उपस्थित ना हो लेकिन उससे राज़ी हो तो वह ऐसे ही है जैसे वह उपस्थित था।

۳۴۔ کتب (علیه السلام) إلی بعض أولیائه:

أمّا هذه الدنيا فإنّا فيها معترفون، ولكن مَن كان هواه هوي صاحبه و دان بدينه فهو معه حيث كان، و الاخرة هي دارالقرار۔

34. इमामे जवाद (अ) ने अपने एक दोस्त को लिखाः निसंदेह हम अहलेबैत (अ) इस दुनिया में विवश होकर दूसरे की हुकूमत को स्वीकार करते हैं, लेकिन जिसकी भी ख्वाहिश उसके दोस्त की ख़्वाहिश की तरह हो और उसी के जैसा अक़ीदा और दीन रखने वाला हो, वह हर स्थान पर (मौत के बाद) उसके साथ होगा और आख़ेरत आराम और सुकून का घर है (यानि अगर तुम मेरे दीन पर होगे तो मौत के बाद भी मेरे साथ होगे)

۳۵۔ قال علیه السلام:

العلماء فی أنفسهم خانة إن کتموا النّصیحة،

35. आलिम और बुद्धिजीवी अगर नसीहत करने से मना करें तो उन्होंने तुम से ख़यानत की है।

۳۶۔ قال علیه السلام:

إنّ اخوان الثقة ذخائر بعضهم لبعض؛

36. निसंदेह भरोसेमंद भाई एक दूसरे के लिए ख़ज़ाना (पूँजी) हैं।

۳۷۔ قال علیه السلام:

لیس الحلیم الذی لا یتقی أحداً فی مکان التقوی؛

7. जो भी परहेज़गारी के स्थान पर किसी की सुरक्षा ना कर सके वह मुत्तक़ी नहीं है (वास्तविक मुत्तक़ी वह है जो दूसरों को तक़वे की तरफ़ बुलाए)

۳۸۔ قال علیه السلام:

الحلم لباس العالم فلا تعرین منه؛

38. धैर्य और संयम आलिम के शरीर का कपड़ा है, कभी भी इस कपड़े को ना उतारो (सच्चा और वास्तविक आलिम वह है जो धैर्य और संयम रखने वाला हो)

۳۹۔ عَنْ عَبْدِ الْعَظِیمِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ الْحَسَنِیِّ قَالَ قُلْتُ لِمُحَمَّدِ بْنِ عَلِیِّ بْنِ مُوسَی {علیه السلام}:

یا مولای إِنِّی لَأَرْجُو أَنْ تَکُونَ الْقَائِمَ مِنْ أَهْلِ بَیْتِ مُحَمَّدٍ الَّذِی یَمْلَأُ الْأَرْضَ قِسْطاً وَ عَدْلًا کَمَا مُلِئَتْ ظُلْماً و جَوْراً۔

فَقَالَ (علیه السلام): مَا مِنَّا إِلَّا وَ هُوَ قَائِمٌ بِأَمْرِ اللَّهِ عَزَّ وَ جَلَّ وَ هَادٍ إِلَی دِینِ اللَّهِ وَ لَکِنَّ الْقَائِمَ الَّذِی یُطَهِّرُ اللَّهُ عَزَّ وَ جَلَّ بِهِ الْأَرْضَ مِنْ أَهْلِ الْکُفْرِ وَ الْجُحُودِ وَ یَمْلَؤُ الارضَ قِسْطاً و عَدْلًا۔

هُوَ الَّذِی یخْفَی عَلَی النَّاسِ وِلَادَتُهُ وَ یَغِیبُ عَنْهُمْ شَخْصُهُ وَ یَحْرُمُ عَلَیْهِمْ تَسْمِیَتُهُ وَ هُوَ سَمِیُّ رَسُولِ الله(ص) وَ کَنِیُّهُ وَ هُوَ الَّذِی تُطْوَی لَهُ الْأَرْضُ وَ یَذِلُّ لَهُ کُلُّ صَعْبٍ وَ یَجْتَمِعُ إِلَیْهِ مِنْ أَصْحَابِهِ عِدَّةُ أَهْلِ بَدْرٍ ثَلَاثُمِائَةٍ وَ ثَلَاثَةَ عَشَرَ رَجُلًا مِنْ أَقَاصِی الْأَرْضِ وَ ذَلِکَ قَوْلُ اللَّهِ عَزَّ وَ جَلَ: ‏ایْنَما تَکُونُوا یَأْتِ بِکُمُ اللَّهُ جَمِیعاً إِنَّ اللَّهَ عَلی‏ کُلِّ شَیْ‏ءٍ قَدِیرٌ [بقره: 148.] فَإِذَا اجْتَمَعَتْ لَهُ هَذِهِ الْعِدَّةُ مِنْ أَهْلِ الْإِخْلَاصِ أَظْهَرَ اللَّهُ أَمْرَهُ فَإِذَا کَمَلَ لَهُ الْعَقْدُ وَ هُوَ عَشَرَةُ آلَافِ رَجُلٍ خَرَجَ بِإِذْنِ اللَّهِ عَزَّ وَ جَلَّ فَلَا یَزَالُ یَقْتُلُ أَعْدَاءَ اللَّهِ حَتَّی یَرْضَی اللَّهُ عَزَّ وَ جَلَّ۔

قَالَ عَبْدُ الْعَظِیمِ: فَقُلْتُ لَهُ یَا سَیِّدِی وَ کَیْفَ یَعْلَمُ أَنَّ اللَّهَ عَزَّ وَ جَلَّ قَدْ رَضِیَ؟

قَالَ: یُلْقِی فِی قَلْبِهِ الرَّحْمَةَ۔

39. हज़रत अब्दुल अज़ीम हसनी (ख़ुदा उनसे राज़ी और प्रसन्न हो) कहते हैं: मैंने इमाम जवाद (अ) से कहाः हे मेरे मौला और आक़ा मुझे आशा है कि आप पैग़म्बर (स) के अहलेबैत (अ) के क़ाएम हों, वही जो धरती को उसी प्रकार न्याय और इन्साफ़ से भर देगा जिस प्रकार वह ज़ुल्म और अत्याचार से भरी होगी।

इमाम (अ) ने फ़रमायाः हम में से कोई भी अहलेबैत (अ) नहीं है मगर यह कि वह ईश्वर के आदेश क़ियाम करने वाला और मार्गदर्शन करने वाला है, लेकिन वह क़ाएम जिसके माध्यम से ख़ुदा धरती को काफ़िरों इन्कार करने वालो और विरोधियों से पवित्र कर देगा, वह, वह है जिसका जन्म लोगों से छिपा, और वह स्वंय ग़ायब है और लोगों पर हराम है कि उसके नाम को ज़बान पर जारी करें, वह रसूल का हमनाम और हम कुन्नियत है, वह, वह है जिसके पैरों के नीचे ज़मीन घूमती है, और हर कठिन कार्य उसके लिए आसान है उसके पास जंगे बद्र की संख्या (313) जितने लोग दूर दराज़ स्थानों से एकत्र होंगे और यही है क़ुरआन में ख़ुदा के इस कथन का अर्थः जहां भी होगे ख़ुदा तुमको एकत्र करेगा ख़ुदा हर कार्य की शक्ति रखता है (सूरा निसा आयत 77)

तो जब भी इतने लोग ख़ुलूस के साथ उसके पास एकत्र हो जाएंगे, ख़ुदा अपने आदेश को प्रकट कर देगा, और जब भी दस हज़ार लड़ने वाले लोगों ने उसके साथ अनुबंध किया तो इमाम क़ाएम (अ) ख़ुदा के आदेश से प्रकट हो जाएंगे, और लगातार ख़ुदा के शत्रुओं से इतना लड़ेगे कि ख़ुदा राज़ी हो जाए।

हज़रत अब्दुल अज़ीम कहते हैं: मैने कहा हे मेरे मौला उनको कैसे पता चलेगा कि ख़ुदा उनसे राज़ी हो गया है?

आपने फ़रमायाः ख़ुदा उनके दिल में रहम डाल देगा (यानि एक विशेष संदेश देगा जो उसके राज़ी होने को बताएगा)

۴۰۔ قال علیه السلام:

«وَ كُلُّ أُمَّةٍ قَدْ رَفَعَ اللَّهُ عَنْهُمْ عِلْمَ الْكِتَابِ حِينَ نَبَذُوهُ وَ وَلَّاهُمْ عَدُوَّهُمْ حِينَ تَوَلَّوْهُ»

40. हर वह क़ौम जो ख़ुदा की किताब से दूर हो जाए (और उसपर अमल ना करे) और अपने शत्रुओं को दोस्ती और सरपरस्ती के लिए चुन ले निसंदेह ख़ुदा उनसे इल्म को ले लेगा।

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