हज़रत ईसा (अ) और पत्थर

हज़रत ईसा (अ) और पत्थर

एक दिन हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम अपनी थकान उतारने के लिए लेटे तो आपने एक पत्थर अपने सर के नीचे रख लिया और आराम करने लगे।

इतने में उधर से शैतान निकल पड़ा उसने जब यह देखा तो कहाः अन्तः आप भी दुनिया की तरफ़ झुक गए।

हज़रत ईसा ने जैसे ही उसकी यह बात सुनी सर के नीचे से पत्थर निकल कर उसको दे मारा और कहाः यह पूरी दुनिया के साथ साथ यह पत्थर भी तेरा है। (यानी अगर यह पत्थर आराम का माध्यम है तो मुझे यह पत्थर भी नहीं चाहिए ) आराम तलबी और ख़ुद को चाहना और जमा करने के चक्कर में पड़े रहना एवं सजाव श्रंगार आदि के बुरे प्रभाव होते हैं

(महज्जतुल बैज़ा जिल्द 5 पेज 62 इबलीस नामा से लिया गया पेज 66)

इमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं

दुनिया की कठिनाई और परेशानियां आख़ेरत की मिठास हैं और दुनिया की मिठास आख़ेरत की कड़वाहट का कारण है

(नहजुल बलाग़ा हिकमत 246 इबलीस नामा से लिया गया पेज 67)

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