म्यांमार में मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा का नया दौर आरम्भ
टीवी शिया अलआलम से प्राप्त समाचार के अनुसार, म्यांनमार में दोबारा झड़पें शुरू होने के बाद से अब तक तीन दिन एक गाँव में 5 मुसलमान बौद्धों को हमलों में मारे गए हैं।
बौद्धों ने एक बार फिर राख़ीन राज्य के पश्चिम में एक गाँव पर हमला किया और लोगों के घरों को आग लगा दी है।
पिछले साल जून के महीने से मुसलमानों और बौद्धों के बीच आरम्भ हुई हिंसा में अब तक 270 लोग मारे जा चुके हैं।
शनिवारे के दिन से रूहंगियाई मुसमानों के विरुद्ध दोबारा हमले शुरू हुए हैं, और कुछ दिनों से इन हमलों में तीव्रता आई है।
म्यानमान में मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिकों वाला व्यावहार किया जाता है।
बीबीसी ने रिपोर्ट दी है कि न्यानमार की यह हिंसा केवल राख़ीन राज्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि दूसरे राज्यों में भी यह आग फैल चुकी है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, अगरचे म्यानमार के राष्ट्रपति ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन हिंसा को रोकने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया है। वह म्यांमार में मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर भेदभाव को समाप्त करने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं, म्यांमार में भेदभाव का आलम यह है कि मुसलमानों के क्षेत्र सदैव बदलाही और उपेक्षा का शिकार रहते हैं।
कहा जा रहा है कि कट्टरपंथी बौद्धों द्वारा मुसलमानों पर हमले में म्यांमान के सुरक्षा बल भी उनका समर्थन कर रहे हैं।
म्यांनमार में फिर से हिंसा आरम्भ होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने वहां की सरकार से मांग की है कि हिंसा को समाप्त करने के लिए क़दम उठाए, लेकिन चुनाव का समय नज़दीक होने के कारण सरकार कोई भी ऐसा क़दम उठाने से बच रही है जो उसके वोटों पर असर डाल सके।
कहा जा रहा है कि म्यांमार के एक लाख से अधिक बेघर लोग बदतर ज़िंदगी जीने को मजबूर है और मानवीय संगठनों के इसके प्रति सावधान किया है।
इन संगठनों की एक चिंता यह है कि म्यांमार की सरकार पर से अंतर्राष्ट्रीय दबाव कम हो गया है, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दूसरे अधिक महत्वपूर्ण मामलों पर तवज्जोह दे रहा है और वह म्यांमार के मुसलमानों की स्थिति पर तवज्जोह नहीं दे रहे हैं।
संभव है कि म्यांमार में मुसलमानों के विरुद्ध होने वाली हिंसा की घटनाओं में इज़ाफ़ा हो
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