यूसुफ़ की क़ीमत 22 दिरहम क्यों?

यूसुफ़ की क़ीमत 22 दिरहम क्यों?

एक बार जब हज़रत यूसुफ़ छोटे थे और अपने पिता के घर में रहते थे तो वह एक दिन शीशे में अपने आप को देखने लगे, उन्होंने अपने सुंदर चेहरे को देखा और दिल में कहने लगे।

अगर मुझे दास बना कर बेचा जाए तो इस संसार में कोई मेरी क़ीमत अदा नहीं कर सकेगा।

अल्लाह को हज़रत यूसुफ़ का यह नाज़ अच्छा नहीं लगा, तो जब उनके भाईयों ने (उनसे अपनी दुश्मनी निकालने के लिए) उन्हे मिस्र के व्यापारियों के हाथों बेचा तो उन व्यापारियों ने उनकी क़ीमत बाइस दिरहम दी।

इसी लिए कहा जाता है कि इन्सान को किसी चीज़ पर घमंड नहीं करना चाहिए क्यों कि पता नहीं कि ख़ुदा को कौन सी बात बुरी लग जाए और वह किस तरह से हमको हमारी औक़ात दिखा दे, जब ख़ुदा की नाराज़गी से यूसुफ़  जैसे नबी नहीं बच सके तो हमारी बिसात ही क्या है।

इसलिए हमको घमंड और अहंकार से बचना चाहिए।

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