एकता आयतुल्लाह ख़ामेनाई की निगाह में

एकता आयतुल्लाह ख़ामेनाई की निगाह में

जब हम मुसलमानों के बीच एकता की बात करते हैं तो हमें पता होना चाहिये कि इस एकता का क्या मतलब है। इसका मतलब बिल्कुल साधारण और साफ़ है।

हमारी नज़र में मुसलमानों का एकता मतलब यह नहीं है कि सारे मुसलमान सुन्नी हो जाएं या सारे मुसलमान शिया हो जाएं, यह असम्भव है। शिया अपनी जगह शिया रहें और सुन्नी अपनी जगह सुन्नी रहें लेकिन दुश्मन की साज़िशों को नाकाम करने में एक दूसरे का साथ दें, एक दूसरे से लड़ने झगड़ने और कीचड़ उछालनें से बचें, एक दूसरे के विरोध में दुश्मन की सहायता न करें।

मुसलमानों के बीच एकता का मतलब यह है। वह बाते और समस्याएं जो सारे मुसलमानों से जुड़ी हुई हैं उनको दूर करने में एक साथ आगे बढ़ें और हमारे पास जो अल्लाह की नेमतें हैं उन्हें एक दूसरे के ख़िलाफ़ इस्तेमाल न करें। अगर हम शार्ट में कहना चाहें तो हम कह सकते हैं कि मुसलमानों की एकता का सारांश दो चीज़ों में हैं:

एक तो यह कि अपने असली दुश्मन के सामने एक प्लेट फ़ार्म पर इकट्ठा हों जो कि इस्लाम का दुश्मन है, किसी एक समुदाय का दुश्मन नहीं है।

दूसरे यह कि सभी मुस्लिम समुदायों के उल्मा इकट्ठा हों, एक साथ मिल बैठें और देखें कि उनके बीच कौन सी चीज़ें मिलती जुलती हैं, उन चीज़ों को परख कर उनमें भी एक साथ चला जा सकता है

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