ग़रीबी अच्छी या घमंडी बना देने वाली दौलत

ग़रीबी अच्छी या घमंडी बना देने वाली दौलत

इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत है कि एक अमीर आदमी साफ़ सुधरे कपड़े पहनकर रसूल (स) के सामने उपस्थित हुआ, उसी समय एक ग़रीब सहाबी फटे पुराने कपड़ों में आया और उस अमीर आदमी की बग़ल में बैठ गया।

उस अमीर आदमी ने उसे देखकर अपने कपड़े समेट लिए।

यह देख कर रसूल (स) ने फ़रमायाः इसे देखकर तुमने जो अपने कपड़े समेट लिए, हैं तो क्या तुम यह मसझते हो कि (इसके बग़ल में बैठ जाने से) इसकी ग़रीबी तुमको लग जाएगी?

उसने कहाः नहीं।

फिर आपने कहाः तो क्या तुम यह मसझते हो कि तुमहारी दौलत इसके पास चली जाएगी?

उसने कहाः नहीं।

फिर आपने फ़रमायाः जब इन दोनों में से एक भी बात नहीं है तो तुमने इसे देखकर अपने कपड़े क्यों समेटे?

उसने कहाः हे अल्लाह के रसूल (अ) यह मेरा बुरा ज़मीर (नफ़्से अम्मारा) बुराई को मेरे लिए अच्छा बना कर दिखाता है और अच्छाई को बुरा बनाकर दिखाता है।

फिर उस अमीर आदमी ने कहाः हे अल्लाह के रसूल मुझसे सच में ग़ल्ती हो गई है मैं इसके पश्चाताप के लिए अपनी आधी दौलत इस ग़रीब आदमी को देना चाहता हूँ।

उस ग़रीब आदमी ने कहाः मुझे स्वीकार नहीं है।

रसूल (स) ने पूछाः तुम क्यों उसकी दौलत को स्वीकार नहीं कर रहे हो?

उस ग़रीब आदमी ने कहाः अगर मै ने इसकी दौलत ले ली तौ मैं भी इसी की तरह घमंडी हो जाऊँगा।

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