शैतान की नसीहत

शैतान की नसीहत

एक दिन शैतान कुछ रस्सियाँ और ज़ंजीरें ले कर हज़रत यहया (अ) के सामने आया

हज़रत यहया (अ) ने प्रश्न कियाः हे इब्लीस यह तेरे हाथों में क्या है?

शैतान ने कहाः यह रस्सियाँ, वह भिन्न भिन्न प्रकार की चाहतें हैं जो मैंने मनुष्य के अंदर पाई हैं।

हज़रत यहया (अ) ने पूछाः इनमें से कोई एक मेरे लिये भी है?

शैतान ने कहाः हाँ।  जिस समय आप पेट भर के खाना खा लेते हैं तो भारीपन पैदा हो जाता है, और नमाज़, दुआ और ख़ुदा के ज़िक्र में वैसी रग़बत नही रह जाती है।

हज़रत यहया (अ) ने कहाः ख़ुदा की क़सम आज के बाद मैं कभी भी पेट भर के खाना नहीं खाऊँगा।

शैतान ने कहाः ख़ुदा की क़सम आज के बाद मैं कभी भी सच नही बोलूँगा, और ना ही किसी मुसलमान को नसीहत करूँगा।

(महासिने बरक़ी, अद्य़ाय 37 पेज 439, इबलीस नामे से लिया गया)

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