हर इबादत का आधार नमाज़ है
हर इबादत का आधार नमाज़ है
नमाज़ के महत्व के बारे मे केवल यही काफ़ी है कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने मिस्र मे अपने प्रतिनिधि मुहम्मद इब्ने अबी बकर के लिए लिखा कि लोगों के साथ नमाज़ को समय पर पढ़ना।
क्योंकि तुम्हारे दूसरे तमाम कार्य तुम्हारी नमाज़ के आधार हैं। रिवायत मे यह भी है कि अगर नमाज़ कबूल हो गई तो दूसरी इबादतें भी स्वीकार्य हो जायेंगी, लेकिन अगर नमाज़ क़बूल न हुई तो दूसरी इबादतें भी अस्वीकार्य जायेंगी।
दूसरी इबादतो के क़बूल होने का नमाज़ के क़बूल होने पर मुनहसिर होना(आधारित होना) नमाज़ के महत्व को उजागर करता है। मिसाल अगर पुलिस अफ़सर आपसे ड्राइविंग लैसन्स माँगे और आप उसके बदले मे कोई भी दूसरा महत्वपूर्ण काग़ज़ दिखाएं तो वह उसको स्वीकार नही करेगा।
जिस तरह ड्राइविंग के लिए डराइविंग लाइसन का होना ज़रूरी है और उसके अतिरिक्त तमाम काग़ज़ बेकार हैं। इसी तरह इबादत के क़बूल होने के लिए नमाज़ का कुबूल होना भी ज़रूरी है। कोई भी दूसरी इबादत नमाज़ की जगह नही ले सकती।
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