रिश्तेदारों से दूरी मौत को क़रीब लाती है

रिश्तेदारों से दूरी मौत को क़रीब लाती है

कुलैनी अपनी पुस्तक अलकाफ़ी में लिखते हैं कि एक व्यक्ति इमाम सादिक़ (अ) के पास आया और कहने लगा मौला मेरे चचा के बेटे ने मेरा जीना दूभर कर दिया है। और मुझे इतना विवश कर दिया है कि अब मेरा जीवन केवल एक कमरे में सिमट कर रह गया है। अगर आप अनुमति दें तो मैं राजा के पास जाकर उसकी शिकायत करूँ और उससे अपना अधिकार ले लूँ।

आपने फ़रमाया धैर्य रखों बहुत जल्द ख़ुदा तुमको इस मुश्किल से नजात देगा। कुछ ही दिन बीते थे कि यकायक वबा फैल गई और उसके चचा ज़ाद भाईयों में से कोई ना बच सका सब के सब उसी में मारे गए।

कुछ दिन बाद वह व्यक्ति फिर इमाम के पास आया इमाम (अ) ने उससे पूछा अब तुम्हारे रिश्तेदारों का क्या हाल हैं?

उसने उत्तर दियाः वह सब के सब मर गए। इमाम (अ) ने फ़रमाया उनकी मौत इसलिए हुई कि उन्होंने तुझ से रिश्ता तोड़ लिया था। और क्या तुम्हें यह अच्छा लगता कि चाहे वह तुम पर अत्याचार करते रहें लेकिन फिर भी जीवित रहें

?
उसने उत्तर दियाः जी हाँ मै उनके मरने से प्रसन्न नही हूँ।

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