इमाम अली रज़ा (अ) का संक्षिप्त परिचय
इमाम अली रज़ा (अ) का संक्षिप्त परिचय
हज़रत इमाम रज़ा (अ) के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर हम अपने पिर्य पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं और ईश्वर से आशा करते हैं कि हमको अहलेबैत (अ) की ख़ुशी में ख़ुश और उनके ग़म में शोक मनाने की तौफ़ीक दे (आमीन)
नाम एवं उपाधी
हज़रत इमाम रज़ा (अ) का नाम अली व आपकी मुख्य उपाधि रज़ा है।
माता पिता
हज़रत इमाम रज़ा (अ) के पिता हज़रत इमाम काज़िम (अ) व आपकी माता हज़रत नजमा थीं। आपकी माता को समाना, तुकतम, व ताहिराह भी कहा जाता था।
जन्म स्थान एवं तिथि
हज़रत इमाम रिज़ा (अ) का जन्म सन् 148 हिजरी क़मरी मे ज़ीक़ादा माहीने की ग्यारहवी तारीख़ को पवित्र शहर मदीने मे हुआ था।
शहादत
हज़रत इमाम रिज़ा (अ) की शहादत सन् 203 हिजरी क़मरी मे सफ़र महीने की अन्तिम तिथि को हुई। शहादत का कारण अब्बासी शासक मामून रशीद द्वारा खिलाया गया ज़हर था।
समाधि
हज़रत इमाम रिज़ा (अ) की समाधि ईरान के पवित्र शहर मशहद मे है। जहाँ पर हर समय लाखो श्रद्धालु आपकी समाधि के दर्शन व सलाम हेतू एकत्रित रहते हैं।
हज़रत इमाम रिज़ा की ईरान यात्रा
अब्बासी खलीफ़ा हारून रशीद के काल मे उसका बेटा मामून रशीद खुरासान (ईरान) नामक प्रान्त का गवर्नर था। अपने पिता की मृत्यु के बाद उसने अपने भाई अमीन से खिलाफ़त पद हेतु युद्ध किया जिसमे अमीन की मृत्यु हो गयी। अतः मामून ने खिलाफ़त पद प्राप्त किया व अपनी राजधीनी को बग़दाद से मरू (ईरान का एक पुराना शहर) मे स्थान्तरित किया। खिलाफ़त पद पर आसीन होने के बाद मामून के सम्मुख दो समस्याऐं थी। एक तो यह कि उसके दरबार मे कोई उच्च कोटी का आध्यात्मिक विद्वान न था। दूसरी समस्या यह थी कि मुख्य रूप से हज़रत अली के अनुयायी शासन की बाग डोर इमाम के हाथों मे सौंपने का प्रयास कर रहे थे, जिनको रोकना उसके लिए आवश्यक था। अतः उसने इन दोनो समस्याओं के समाधान हेतू बल पूर्वक हज़रत इमाम रिज़ा (अ) को मदीने से मरू (ईरान ) बुला लिया। तथा घोषणा की कि मेरे बाद हज़रत इमाम रिज़ा मेरे उत्तरा धिकारी के रूप मे शासक होंगे। इससे मामून का अभिप्राय यह था कि हज़रत इमाम रिज़ा के रूप मे संसार के सर्व श्रेष्ठ विद्वान के अस्तित्व से उसका दरबार शुशोभित होगा। तथा दूसरे यह कि इमाम के उत्तरा धिकारी होने की घोषणा से शियों का खिलाफ़त आन्दोलन लग भग समाप्त हो जायेगा या धीमा पड़ जायेगा।
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