सीरिया की सेना ने ईसाई शहर "मालूला" को कैसे आज़ाद कराया!
सीरिया सेना की इकाइयों ने ईसाईयों के एतेहासिक शहर "मालूला" से आतंकियों को खदेड़ने के बाद उसपर अपना कंट्रोल कर लिया है, खदेड़े जाने से पहले इन आतंकियों ने इस शहर के रहने वालों के सामान और माल को बरबाद कर दिया था।
इस समय सेना के जवान मालूला में मौजूद हैं और इस शहर के पश्चिम में "अलसफ़ीर" होटल की तरफ़ बढ़ रहे हैं, जहाँ आतंकियों ने बंकर बना रखे हैं।
अलआलम चैनल के अनुसार चश्मदीदों का कहना है कि 90 प्रतिशत शहर पर सेना का क़ब्ज़ा है और आतंकियों को इस शहर की पहाड़ियों से खदेड़ दिया गया है।
समाचारों से पता चला है कि इस शहर में जो कि लगभग निवासियों से ख़ाली हो चुका हैं, सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी है।
"जिबहतुन नसरा" (जिनका अलक़ाएदा से सम्पर्क है) और "क़लमून लिबरेशन मूवमेंट" के इन आतंकियों ने पिछले बुधवार को "मालूला" शहर पर आक्रमण कर दिया था और इस शहर के कुछ स्थानों पर अधिकार कर लिया था।
यह शहर सीरिया की राजधानी दमिश्क़ से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
इस शहर के एक नागरिक ने बताया कि इन आतंकियों ने शहर के पश्चिम में स्थित एक चर्च को आग लगा दी और दो अन्य चर्चों पर हमला कर के बरबाद कर दिया है। एक दूसरे नागरिक ने बताया कि इन आतंकियों ने शहर में प्रवेश करते ही ईसाईयों के घरों और चर्चों पर हमला करना शुरू कर दिया।
इस ऐतिहासिक शहर को यूनेस्कों ने भी अपनी लिस्ट में स्थान दे रखा हैं। इस शहर में "मारसरकिस" और "मारतक़ला" नामी सीरिया के सबसे पुराने चर्च हैं।
इस छोटे से शहर के कुछ लोग अब भी "आरामी" भाषा, जिसके बारे में कहा जाता है कि हज़रत ईसा इसी भाषा में बात किया करते थे, बोलते हैं।
सीरिया की सेना द्वारा आतंकियों को भगाने के बाद कुछ दिन पहले फिर कुछ हथियाबंद लोगों ने इस शहर के कुछ भाग पर क़ब्ज़ा कर लिया था।
रिपोर्ट बताती है कि इन लोगों ने पश्चिमी मालूमा के कुछ भाग पर अधिकार करने के बाद वहां रहने वाले लोगों के सामान को बरबाद कर दिया है।
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