क़ुरआन में इमामे ज़माना (अ) के ज़ुहूर से सम्बन्धित आयतें
بسم الله الرحمن الرحیم
अनुवादकः सैय्यत ताजदार हुसैन ज़ैदी
क़ुरआन में इमामे ज़माना (अ) के ज़ुहूर से सम्बन्धित आयतें
हम इस लेख में अपने पाठकों को निम्नलिखित चीज़ों के बारे में बताएंगे
पवित्र क़ुरआन में इमाम ज़माना (अ) के ज़ुहूर से सम्बन्धित आयतें
क़ुरआन में इमाम ज़माना (अ) की ग़ैबत का कारण
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम की चोरी का नतीजा
पवित्र क़ुरआन में बहुत सी ऐसी आयतें पाई जाती है जो इमाम ज़माना (अ) के बारे में हैं।
अगर कोई इन आयतों पर ग़ौर एवं चिंतन करे और ध्यान दे तो उसको पता चलेगा कि अभी तक यह आयतें पूर्ण नही हुई हैं और इस दुनिया में इन आयतों का प्रतय्क्ष होना अभी बाक़ी है।
वह आयतें जो इमाम (अ) को ज़ुहूर से सम्बन्धित हैं और वह (ज़ुहूर) अभी हुआ नही है
1. إِذَا جَاءَ نَصْرُ اللَّـهِ وَالْفَتْحُ ﴿١﴾ وَرَأَيْتَ النَّاسَ يَدْخُلُونَ فِي دِينِ اللَّـهِ أَفْوَاجًا ﴿٢﴾ (نصر)
जब ख़ुदा की सहायता और फ़त्ह (जीत) आ जाए और तुम देखों कि लोग गुटों में ख़ुदा के दीन में आ जाएं।
जब ख़ुदा की सहायता और फ़त्ह आएगी तो सारे लोग समझ जाएंगे कि सही रास्ता कौन सा है और फिर वह गिरोह, गिरोह ख़ुदा के दीन में दाख़िल हो जाएंगे
लोगों को अभी पता नही है कि ख़ुदा का दीन इतना सुन्दर है।
रिवायत में आया हैः वह समय (जब लोगों को ख़ुदा के दीन की सुन्दरता का एहसास होगा) इमाम के ज़ुहुर का समय है, ख़ुदा की सहायता ज़ुहूर करेगी और लोग गिरोहों के साथ आएंगे और ख़ुदा के दीन में दाख़िल हो जाएंगे।
2.هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَىٰ وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَلَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُونَ﴿التوبة: ٣٣﴾
هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَىٰ وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَلَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُونَ﴿الصف: ٩﴾
هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَىٰ وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَكَفَىٰ بِاللَّـهِ شَهِيدًا﴿الفتح: ٢٨﴾
वह, वह है जिसने अपने रसूल (ईश्वरीय दूत) को हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा, ताकि उसको हर दीन से उच्च बनाए, अगरचे मुशरिक इससे नाराज़ हों।
आख़िर क्यों कुछ लोगों ने ख़ुदा के धर्म को स्वीकार नही किया है?
इसका कारण यह है कि अभी तक ख़ुदा का वास्तविक धर्म उन तक नहीं पहुँचा है और उनपर हुज्जत तमाम नही हुई है।
हे ईश्वरः तू ने किस लिए इस रसूल (स) को भेजा है?
क्या इस क़ुरआन से सारी चीज़ को साफ़ साफ़ बयान नही किया है?क्या यह हिदायत और मार्ग दर्शन की किताब नही है?
इसका कारण यह है कि ख़ुदा सारे धर्मों और सारे लोगों के लिए साफ़ कर दे और अपने दीन की वास्तविक्ता को दिखा दे चाहे मुशरिक लोग इसको पसन्द ना करते हो और वह इसको स्वीकार ना करें, लेकिन ख़ुदा चाहता है कि सब पर वास्तविक्ता रौशन हो जाए।
यह आयत अभी तक पूरी नही हुई है यह केवल इमाम (अ) के ज़ुहूर के समय पूरी होगी क्योंकि अभी तक ख़ुदा का दीन सबसे ऊपर नही हुआ है अभी तक सबने ईश्वरीय धर्म को स्वीकार नही किया है
जब हम सूरा ए सफ़ और सूरा ए तौबा की इन दोनों आयतों को देखते हैं तो हमको पता चलता है कि अभी यह सब संसार में पूरा नही हुआ है अभी बहुत से ऐसे लोग हैं जो ईश्वरीय धर्म से दूर है उनको अभी ख़ुदा के दीन के बारे में पता नही है, और अभी तक वह समय नही आया है कि जब ख़ुदा का दीन सारे धर्मों से ऊपर हो।
बिस्मिल्लाह की चोरी का फल
जब हम ख़ुद इस्लाम धर्म की तरफ़ देखते हैं तो हमको ख़ुद मुसलमानों में बहुत मतभेद दिखाई देता है। जैसे इस्लाम का एक सम्प्रदाय इस्लाम के नाम पर और "अल्लाहो अकबर" का नारा लगाते हुए ख़ुद मुसलमानों का सर काट रहा है।
यह वही सम्प्रदाय है जो यह कहता है कि बिस्मिल्लाह क़ुरआन का अंग नही है
अगर यह लोग बिस्मिल्लाह को क़ुरआन का अंग मानते, और अल्लाह को रहम करने वाला और कृपालू मानते तो कभी भी इस प्रकार दूसरों का गला ना काटते।
बिस्मिल्लाह की चोरी का फल अत्याचार, ज़ुल्म और वहाबियत है
हदीस में आया है कि मासूम फ़रमाते हैं: सबसे बड़ी आयत जो क़ुरआन से चोरी हुई है वह बिस्मिल्लाह है।
कल क़ुरआन से बिस्मिल्लाह को काट देने वाले आज लोगों का गला काट रहे हैं
3. وَعَدَ اللَّـهُ الَّذِينَ آمَنُوا مِنكُمْ وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَيَسْتَخْلِفَنَّهُمْ فِي الْأَرْضِ كَمَا اسْتَخْلَفَ الَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ وَلَيُمَكِّنَنَّ لَهُمْ دِينَهُمُ الَّذِي ارْتَضَىٰ لَهُمْ وَلَيُبَدِّلَنَّهُم مِّن بَعْدِ خَوْفِهِمْ أَمْنًا ۚ يَعْبُدُونَنِي لَا يُشْرِكُونَ بِي شَيْئًا ۚ وَمَن كَفَرَ بَعْدَ ذَٰلِكَ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ ﴿٥٥﴾ نور
ख़ुदा ने तुम में से उन लोगों को जो ईमान लाए और नेक काम किये हैं वादा दिया है कि निसंदेह उनको इस धरती पर (अपना) उत्तराधिकारी बनाएगा, जिस प्रकार कि उन लोगों को कि जो उनसे पहले थे (अपना) उत्तराधिकारी बनाया, और उस दीन को जो उसके लिए पसन्दीदा है उनके लिए क़रार दिया, और उनके भय को आराम में बदल दिया (ताकि) मेरी आराधना करें और किसी चीज़ को मेरा शरीक़ क़रार ना दे, और इसके बाद जो भी कुफ़्र करे यह वह लोग हैं जो नाफ़रमान हैं
जो लोग ईमान लाए हैं ख़ुदा ने उनको इस धरती पर हुकूमत का वादा दिया है
आख़िर यह हुकूमत कहाँ है?
यह हुकूमत उन लोगों को दी जाएगी जो इसके माध्यम से इस धरती पर ख़ुदा के दीन के फैला सकें और उसको कार्यावंनित कर सके। लेकिन अभी तक यह समय नही आया है, अभी तक ऐसा नही हो सका है कि धरती पर ख़ुदा के मोमिन बंदों की हुकूमत हो सके।
4. وَنُرِيدُ أَن نَّمُنَّ عَلَى الَّذِينَ اسْتُضْعِفُوا فِي الْأَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ أَئِمَّةً وَنَجْعَلَهُمُ الْوَارِثِينَ ﴿٥﴾ قصص
और हमने चाहा कि वह लोग जिनको इस धरती पर कमज़ोर कर दिया गया है उन पर एहसान करें और उनको वारिस बनाएं
ख़ुदा ने वादा किया है कि हमने इरादा किया है कि आज इस धरती पर जिन लोगों को कमज़ोर कर दिया गया है उनपर एहसान करें , जैसे आज जब इस ज़माने में हम देखते हैं तो क्या पाते हैं कि इस्लाम और मुसलमानों को कमज़ोर कर दिया गया है और जो शक्ति उनके पास होनी चाहिए थी आज उनके पास नही है।
हम शिया यह कहते हैं कि अहलेबैत (अ) को कमज़ोर कर दिया गया जैसे हज़रत अली (अ) के हाथों को बांधा गया, इमाम हसन (अ) को मजबूर किया गया कि उस सुलह को स्वीकार करें जिसमें उनकी आँखों के सामने अमीरुल मोमिनीन (अ) पर लानत की जा रही हो, इसी प्रकार इमाम हुसैन (अ) को दूसरे प्रकार से कमज़ोर किया गया, सारे अहलेबैत को इमाम ज़माना (अ) के समय तक किसी ना किसी प्रकार से कमज़ोर किया गया
किसी ने इमाम से प्रश्न किया कि इमाम ज़माना गायब क्यों हैं? आपने अपने पेट की तरफ़ इशारा कर के कहाः अपने जीवन की रक्षा के लिए।
ख़ुदा ने अहलेबैत पर एहसान किया है ता कि उनको इमाम बनाए और उनको इस धरती का वारिस और उत्तराधिकारी बनाए।
शिया और सुन्नी दोनों तरफ़ से बहुत सी रिवायतें पाई जाती है जो इशारा करती है कि यह आयतें इमाम ज़माना (अ) के ज़ुहूर के ज़माने से सम्बन्धित है।
5. وَقُلْ جَاءَ الْحَقُّ وَزَهَقَ الْبَاطِلُ إِنَّ الْبَاطِلَ كَانَ زَهُوقًا ﴿٨١﴾ اسرا
और कह दोः हक़ आया और बातिल समाप्त हो गया। निसंदेह बातिल समाप्त हो जाने वाला है
क्या बातिल वास्तव में समाप्त हो गया है?
अगर हक़ आ गया है तो बातिल समाप्त क्यों नही हुआ?
आज तक ऐसा नही हुआ है कि पूरा बातिल और बुराई समाप्त हो गई हो, बल्कि इसके उलट आज तो बातिल और भी शक्तिशाली हो गया है।
आप पवित्र शहर मक्के को देखें वहा इस्लामी धरोहरें बरबाद की जा रही हैं और इस्लाम विरोधी निशानियाँ बनाई जा रही है... रमी जमरा के स्थान पर, ख़ाना ए काबा में , आरफ़ा में .... हर स्थान पर इस्लामी चिन्हों को मिटाया जा रहा है किसी ना किसी बहाने।
यह आयत इमाम के ज़ुहूर के ज़माने में पूरी होगी बातिल एवं बुराई इमाम के ज़ुहूर के ज़माने में पूर्ण रूप से समाप्त होगी और यही वह ज़माना होगा जब बातिल वास्तव में समाप्त हो जाएगा और उसका कोई नाम व निशान नही रह जाएगा
यह आयत उन आयतों में से है जिसके बारे में कहा जाता है कि इमामे ज़माना (अ) के जन्म के समय पढ़ी गई या यह आयत आपके पवित्र शाने पर लिखी हुई थी
सूरा असरा के बारे में आया है कि जो भी हर जुमे की रात (गुरूवार को) पढ़े वह इमामे ज़माना (अ) के साथियों में से होगा।
6. وَلِكُلٍّ وِجْهَةٌ هُوَ مُوَلِّيهَا فَاسْتَبِقُوا الْخَيْرَاتِ أَيْنَ مَا تَكُونُوا يَأْتِ بِكُمُ اللَّـهُ جَمِيعًا إِنَّ اللَّـهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ ﴿١٤٨﴾ بقره
हर एक के लिए एक क़िबला है जिसकी तरफ़ वह मुंह करता है, तो अच्छे कार्यों में एक दूसरे से आगे बढ़ो. जहाँ भी होगे ख़ुदा तुम सबको (अपनी तरफ़) पलटाएगा वास्तव में ख़ुदा हर चीज़ पर शक्ति रखता है।
तुम जहाँ भी रहो चाहे कितना भी अलग अलग हो ख़ुदा तुम सबको एक स्थान पर एकत्र कर देगा ख़ुदा हर चीज़ पर शक्ति रखता है
रिवायत में आया है किः जिस साल इमामे ज़माना (अ) ज़ुहूर करेंगे उस समय आपके साथी अलग अलग स्थानों पर होंगे और दुनिया में अलग अलग जगहों पर होंगे, और उसके दूसरे ही दिन सब के सब इमाम के पास मक्के में एकत्र होंगे। इमाम ने फ़रमाया उनमें से कुछ बादलों की सवारी से आएँगे
कुछ लोग कहते हैं कि बादलों की सवारी से तात्पर्य हवाई जहाज़ है, लेकिन यह लोग पलक झपकते ही आसमानों के फ़ासलों को तै कर लेने की शक्ति रखते हैं इसी प्रकार कुछ के पास ज़मीन के फ़ासलों को तै करने की शक्ति है
इमामे ज़माना (अ) के साथियों में से एक हज़रत ईसा (अ) है जो कि आसमान में चले गए हैं और उनके पास यह शक्ति है कि वह आसमान में चले जाएं और वहाँ से वापस आ सकें
पाप के बाद ख़ुदा से आाशा
जब शैतान ने ख़ुदा का आदेश मानने से इन्कार कर दिया तब उसने ख़ुदा से कहा जो मैने तेरी इतनी इबादत की है उसके बदले में मुझे क़यामत के दिन तक मोहलत दे। ख़ुदा ने उत्तर दिया जा तुझे मालूम समय तक के लिए मोहलत दी
यह मालूम समय कौन सा समय है?
यह समय इमाम के ज़ुहूर का समय है
ख़ुदा से आशा रखने के बारे में एक रिवायत पेश करते हैं
यह लुक़मान द्वारा अपने बेटे को की जाने वाली नसीहतों में से है जिसके बारे में इमाम सादिक़ (अ) फ़रमाते हैं यह लुक़मान की नसीहतों में से सबसे अजीब नसीहत है जिसमें आपने फ़रमायाः ख़ुदा के इन्साफ़ से डरो चाहे सारे दुनिया के नेक कार्य ही तुम्हारे साथ क्यों ना हों और ख़ुदा से आशा रखों चाहे सारी दुनिया के बराबर बुरे कार्य ही तुम्हारे साथ क्यों ना हों।
7. الَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِالْغَيْبِ وَيُقِيمُونَ الصَّلَاةَ وَمِمَّا رَزَقْنَاهُمْ يُنفِقُونَ ﴿٣﴾ بقره
जो लोग ग़ैब पर ईमान लाते हैं और नमाज़ क़ाएम करते हैं, और हमने जो उनको रोज़ी दी है उसमें से दूसरो को देते हैं
मोमिन वह है जो ग़ैब पर ईमान रखता हो
एक समय ऐसा होता है कि हमको ग़ैब की जानकारी होती है हम उसका इल्म रखते हैं लेकिन यह आयत हमसे जानकारी से अधिक चीज़ चाह रही है वह है ग़ैब पर ईमान, ऐसा ना हो कि केवल ग़ैब के बारे में तुम्हारे पास जानकारी हो नही जानकारी के साथ साथ उस पर ईमान भी लाओ
अब हम वहाबियों को देखते हैं जो ग़ैब के इल्म और उसके ज्ञान का इन्कार करते हैं, और जब वह ख़ुद ज्ञान का विरोध करते हैं तो मालूम है कि वह उसपर ईमान भी नही रखते हैं
रिवायत में आया है किःग़ैब पर ईमान से तात्पर्य ग़ाएब इमाम पर ईमान रखना है और इस बात को मानन है कि एक दिन वह इमाम ज़ुहूर करेगा।
8. وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِي الزَّبُورِ مِن بَعْدِ الذِّكْرِ أَنَّ الْأَرْضَ يَرِثُهَا عِبَادِيَ الصَّالِحُونَ ﴿١٠٥﴾ انبیا
तौरैत के बाद ज़ुबूर में हमने लिख दिया है कि हमारे अच्छे बंदे इस धरती को विरासत में पाएंगे
ईश्वर यह बता रहा है कि तौरैत और ज़ुबूर जो कि यहूदियों और ईसाईयों की पुस्तकें है हमने वहां लिख दिया है कि इस धरती की सत्ता हमारे नेक बंदो को मिलेगी
प्रश्न यह है कि क्या ज़मीन नेक बंदो को मिली?
नही।
तो ख़ुदा का यह वादा कब पूरा होगा?
ख़ुदा के इस वादे के पूरा होने का समय इमाम (अ) के ज़ुहूर का समय है
9. يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا مَن يَرْتَدَّ مِنكُمْ عَن دِينِهِ فَسَوْفَ يَأْتِي اللَّـهُ بِقَوْمٍ يُحِبُّهُمْ وَيُحِبُّونَهُ أَذِلَّةٍ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ أَعِزَّةٍ عَلَى الْكَافِرِينَ يُجَاهِدُونَ فِي سَبِيلِ اللَّـهِ وَلَا يَخَافُونَ لَوْمَةَ لَائِمٍ ۚ ذَٰلِكَ فَضْلُ اللَّـهِ يُؤْتِيهِ مَن يَشَاءُ ۚ وَاللَّـهُ وَاسِعٌ عَلِيمٌ ﴿٥٤﴾ مائده
हे वह लोग जो ईमान लाए, तुम में से जो भी अपने दीन से पलट जाए, ख़ुदा बहुत जल्द एक (दूसरे) गुट को लाएगा कि वह मोमिनों के साथ नेक बर्ताव वाले और काफ़िरों के साथ सख़्त हैं, ख़ुदा की राह में (ख़ुदा के लिए) जिहाद करते हैं और किसी की मलामत (निंदा) से नही डरते हैं। यह ख़ुदा का फ़ज़्ल (कृपा) है जिसको चाहता है दे देता है और ख़ुदा वुसआत देने वाला और जानकार है
पवित्र क़ुरआन में यह आयत विलाय वाली आयत के साथ साथ आई है
हे वह लोग जो ईमान लाए अगर तुमने विलायत को छोड़ दिया, ख़ुदा और उसके रसूल की विलायत और उसकी विलायत जो रुकूअ की हालत में ज़कात देते हैं (हज़रत अली (अ)), अगर तुमने इनकी विलायत का इन्कार किया तो बहुत जल्द ख़ुदा एस ऐसी क़ौम को लाएगा जिसके अन्दर ऊपर वाली आयत में बताई गईं विशेषताएं पाई जाती होंगी
यह ऐसी क़ौम होगी जो ख़ुदा के लिए जिहाद करती है और मौत से नही डरती है, क्योंकि मौत का नतीजा ख़ुदा की राह में शहादत है और शहातद बेहतरीन मौत है, तो ऐसी मौत से क्या डरना।
यह आयत इमामे ज़माना (अ) के साथियों के बारे में है जो इमाम अली (अ) को पहला ख़लीफ़ा मानते हैं
10 وَقَاتِلُوهُمْ حَتَّىٰ لَا تَكُونَ فِتْنَةٌ وَيَكُونَ الدِّينُ كُلُّهُ لِلَّـهِ ۚ فَإِنِ انتَهَوْا فَإِنَّ اللَّـهَ بِمَا يَعْمَلُونَ بَصِيرٌ ﴿٣٩﴾ انفال
और उनसे जंग करो ताकि कोई फ़ितना बाक़ी ना रह जाए और ख़ुदा के लिए पूरा दीन हो जाए तो अगर (क़ुफ़्र से) हाथ उठा लें निसंदेह ख़ुदा जो करता है उसको देखने वाला है।
क्या यह आयत पूरी हो गई?
क्या इस दुनिया से हर फ़ितना दूर हो गया क्या हर बुराई समाप्त हो गई?
क्या सारी दुनिया में ख़ुदा के दीन की हुकूमत हो गई?
अगरचे इस आयत में कहा जा रहा है कि जंग करो लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि जिस समय इमामे ज़माना (अ) ज़ुहूर करेंगे और यह आयत पूरी होगी उस समय भी रहमत होगी क्योंकि इमामे ज़माना (अ) के बारे में कहा जाता है कि वह इमाम हुसैन (अ) से शक्ल व सूरत में बहुत मिलते जुलते हैं
अब प्रश्न यह है कि क्या करबला में इमाम हुसैन (अ) ने जंग आरम्भ की थी? नही। इमाम ने आत्म रक्षा के लिए हथियार उठाए थे और आपकी यह जंक आत्म रक्षा के लिए थी ऐसा नही था कि आपको जंग से बहुत प्यार था और आपने जंग आरम्भ की हो
इसी प्रकार जब इमाम ज़ुहूर करेंगे तब आपकी जंग भी आत्म रक्षा के लिए होगी जिसको इमाम के दुश्मन आरम्भ करेंगे और इमाम इस्लाम की रक्षा के लिए जंग करेंगे। ऐसा नही है कि उस ज़माने में जो भी सामने आएगा वह क़त्क कर दिया जाएगा।
एक रिवायत में आया है कि जब सीरिया पर अधिकार हो जाएगा उसके बाद वह इराक़ की तरफ़ चलेंगे और उसके बाद ईरान की तरफ़ और उसके बाद यह लोग इमाम मेहदी (अ) की तलाश में मदीने की तरफ़ हरकत करेंगे ता कि आपको पकड़ सके। रिवायत में आया है कि इमाम के लिए कोई भी स्थान सुरक्षित नही रह जाएगा और इमाम उसी प्रकार अपना स्थान बदलेंगे जैसे हज़रत मूसा ने क़िबतियों से बचने के लिए किया था। और भाग कर एक गुफ़ा में छिप गए थे, इमाम भी इसी प्रकार करेंगे आपके लिए कोई भी स्थान सुरक्षिन नही होगा। इमाम मक्के जाएंगे दुश्मन मक्के को भी बरबाद कर देंगे और उसके बाद आपको ज़ुहूर करने का आदेश दिया जाएगा।
इमाम हुसैन (अ) ने फ़रमायाः हम उस समय तक हथियार नही उठाएंगे जब तक दुश्मन जंग आरम्भ ना कर दें जब शत्रु ने जंग आरम्भ कर दी तो अब कोई यह प्रश्न नही कर सकता है कि आपने क्यों जंगी की।
इमामे ज़माना (अ) अच्छाइयों और नेकियों के इमाम है आप जिस प्रकार दोस्तों और साथियों को रोज़ी देते हैं उसी प्रकार शत्रुओं को भी रोज़ी देते है।
वह सारे धर्म जिन्होंने अन्तिम सुधारक के बारे में कहा है उनमें से केवल शिया सम्प्रदाय ही ऐसा है जिसने सबसे अधिक साफ़ और स्पष्ट रूप से इस बारे में बयान किया है।
11 وَلَنَبْلُوَنَّكُم بِشَيْءٍ مِّنَ الْخَوْفِ وَالْجُوعِ وَنَقْصٍ مِّنَ الْأَمْوَالِ وَالْأَنفُسِ وَالثَّمَرَاتِ ۗ وَبَشِّرِ الصَّابِرِينَ ﴿١٥٥﴾ بقره
और हम तुम्हारा इम्तेहान लेंगे भय, और भूक और माल में कमी और खेती में कमी से और धैर्य रखने वालों को बशारत दो
ईश्वर तुम्हारा इम्तेहान लेगा भूक या भय से भिन्न भिन्न प्रकार की बीमारियाँ होगी और इन सबसे तुमको आज़माया जाएगा
रिवायत में आया है कि यह इमाम के ज़ुहूर से पहले का समय होगा सब दुआ और प्रार्थना करेंगे कि कोई बचाने वाला आए और जिसको आना है वह आएगा
यह लेख हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई बहरामी की तक़रीर का हिन्दी अनुवाद है
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