शियों के सुन्नी भाईयों से सवाल
शियों के सुन्नी भाईयों से सवाल
1-खलीफ़ा नियुक्त करना अच्छा काम है या बुरा? अगर अच्छा कार्य है तो फ़िर क्यों कहा जाता है कि पैगम्बर ने किसी को खलीफ़ा नियुक्त नही किया था। और अगर यह कार्य बुरा है तो फ़िर आदरनीय अबुबकर व उमर ने यह क्यों किया?
2-जब हज़रत पैगम्बर (स) ने बीमारी की हालत मे अपने जीवन के अंतिम क्षणों मे कहा कि कलम व काग़ज़ दो ताकि मैं तुम्हारे लिए एक ऐसी बात लिख दूँ कि तुम मेरे बाद भटक न सको। तो आदरनीय उमर ने कहा कि पैगम्बर पर दर्द की अधिकता है जिस कारण ऐसा कह रहे हैं। हमारे लिए अल्लाह की किताब काफ़ी है।( सहीह बुखारी किताबुल इल्म) लेकिन जब आदरनीय अबुबकर ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों मे वसीयत लिखना चाही तो आदरनीय उमर ने यह क्यों नही कहा कि यह दर्द की अधिकता के कारण ऐसा कह रहे हैं और हमारे लिए अल्लाह की किताब काफ़ी है?
3-मुत्तक़ी हिन्दी ने आदरनीय उमर की इस हदीस का उल्लेख किया है कि “जब भी किसी पैगम्बर के बाद उनकी उम्मत मे इखतेलाफ़ हुआ तो बातिल समुदाय को हक़ समुदाय पर विजय प्राप्त हुई।”(कनज़ुल उम्माल जिल्द 1 पेज 283 हदीस 929)
4-अगर सक़ीफ़ा मे खलीफ़ा का चुनाव व बैअत लेने का तरीक़ा सही था तो आदरनीय उमर ने यह क्यों कहा कि वह बिना विचार विमर्श के एक अचानक किया जाने वाला कार्य था?( सहीह बुखारी किताबुल मुहारेबीन बाबे रजमुल हलबी मिनज़्ज़िना585/8 एक लम्बी हदीस के अन्तर्गत)
5-अगर परामर्श के बिना किसी की बैअत करना जाएज़ है तो आदरनीय उमर ने क़त्ल की धमकी देकर यह क्यों कहा कि “ अगर इसके बाद किसी ने यह काम किया तो बैअत करने वालो व बैअत लेने वालो की हत्या करदी जायेगी। ” व अगर परामर्श के बिना किसी की बैअत करना हराम है तो इस को सक़ीफ़ा मे क्यो लागू नही किया?( सहीह बुखारी किताबुल मुहारेबीन बाबे रजमुल हलबी मिनज़्ज़िना585/8 एक लम्बी हदीस के अन्तर्गत)
6-अगर हज़रत पैगम्बरे अकरम (स) खिलाफ़त पद पर आदरनीय अबुबकर या उमर को नियुक्त करना चाहते थे (यानि उनको अपना ख़लीफ़ा बनाना चाहते थे) तो अपने जीवन के अंतिम समय मे उनको उसामा के नेतृत्व मे जाने वाली सेना मे सम्मिलित कर युद्ध भूमि मे क्यों भेज रहे थे?
जारी है...........
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