इराक़ में आशांति के पीछ कौन?

इराक़ में आशांति के पीछ कौन?

इराक़ में पिछले कुछ दिनों से अशांति और आतंकवादी घटनाओं में तेजी आ गई है इराक़ में आतंकवादी गतिविधियों बढ़ना और उसका तरीक़ा बताता है कि इस अशांति में भी वही लोग समिलित हैं जो लबनान और सीरिया की अशांति में लिप्त हैं

इराक़ में आशांति के पीछ कौन?
इराक़ में पिछले कुछ दिनों से अशांति और आतंकवादी घटनाओं में तेजी आ गई है इराक़ में आतंकवादी गतिविधियों बढ़ना और उसका तरीक़ा बताता है कि इस अशांति में भी वही लोग समिलित हैं जो लबनान और सीरिया की अशांति में लिप्त हैं
इराक़ में सेना और सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाना और और वहां आए तीर्थ यात्रियों पर हमले जैसी कार्यवाहियां दिखाती हैं कि इराक़ की अखंडता सत्ता और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ़ एक संगठित साजिश के तहत हमला किया जा रहा है और यह साजिश केवल इराक़ तक ही सीमित नहीं बल्कि सीरिया और लेबनान जैसे देश भी फैली हुई हैं। पिछले कुछ दिनों से जिस प्रकार लबनान और सीरिया में आतंकी घटनाएं बढ़ रही हैं वह दिखती है कि यह सब एक साज़िश के तहत किया जाने वाला संयोंजित कार्यक्रम हैं इसमें शक नहीं कि इन देशों में स्थानीय लोगों और राष्ट्रीय आधार पर जंग की आग भड़काने या दूसरे शब्दों में इराक़ लेबनान और सीरिया को गृहयुद्ध की आग में झोंक देना साजिश रचने वालों का वास्तविक लक्ष्य है। इस बीच इराक़ में जिस तरह का सामाजिक ढ़ांचा है और जिस प्रकार इस देश में राजनीतिक संकट पैदा हुआ है उसके मद्देनजर थोड़ा सा भी तनाव बड़े स्तर पर तनाव में बदल सकता है।इस समय इराक़ में वहाबी और सल्फ़ी ग्रुप जिन्हें सऊदी अरब, कतर, तुर्की और जॉर्डन का पूरा समर्थन है इलाक़े के मौजूदा और ख़ास हालात में इराक़ की हुकूमत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।इस बीच बअसियों ने भी हालात का फायदा उठाने की कोशिश की है और वह अपने मक़सद के लिए सल्फ़ियों और वहाबी आतंकवादी गुटों की मदद ली है।यहाँ पर ध्यान देने की बात यह है कि यह सारी घटनाएं अमेरिका के ही इशारे पर अंजाम पा रही हैं क्योंकि वॉशिंगटन को हमेशा अवसर का इंतेज़ार रहता है ताकि वह मध्य पूर्व जैसे इस्ट्राटेजिक इलाक़े में चाहे वह कोई भी देश हो अशांति पैदा करके अपने क्षेत्रीय हितों को हासिल कर सके।इस समय वहाबी समूहों और अमेरिकी समर्थकों की आतंकी कार्यवाहियों का मक़सद इराक़ के निर्दोष व बेगुनाह नागरिक ही बन रहे हैं।न केवल इराक़ में बल्कि मिडिल ईस्ट के दूसरे देशों में भी जहां वहाबी समूहों को छूट दी गई है वह आम नागरिकों का खून बहा रहे हैं। यह ऐसी स्थिति में है कि अमेरिका इन सभी घटनाओं के बाद भी खुद को मानवाधिकार का सबसे बड़ा रक्षक कहता है और अपने इस दावे के सहारे वह इराक़, सीरिया, मिस्र और लेबनान जैसे देशों की अखंडता और शासन को पामाल करने से भी परहेज़ नहीं करता है।इसलिए इलाक़े की क़ौमों का कहना है कि मध्य पूर्व में अशांति का मुख्य जिम्मेदार अमेरिका है। उनका कहना है कि वाशिंगटन उन आतंकवादी समूहों के गुनाहों में शामिल है जो इलाक़े में निर्दोष और बेगुनाह लोगों के खून से होली खेल रहे हैं।

नई टिप्पणी जोड़ें