हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस
न्याय की वसंतु ऋतु आ गयी है सामर्रा नगर का पूरा वातावरण १५ शाबान की महाखुशी से ओत- प्रोत है। १५ शाबान वह दिन है जब पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम के पौत्र और महामुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ था। पवित्र क़ुरआन के सूरये क़सस की ५वीं आयत में महान ईश्वर कहता है” हम तो यह चाहते हैं कि जो लोग ज़मीन में कमज़ोर कर दिये गये हैं उन पर एहसान करें और उनको लोगों का मार्गदर्शक बनायें और उन्हीं को ज़मीन का मालिक बनायें”
१५ शाबान वर्ष २५५ हिजरी क़मरी में बग़दाद के उत्तर में स्थित सामर्रा नगर में हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ था। उनका भी वही नाम है जो पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम का शुभनाम है। हज़रत इमाम हसन अस्करी इमाम महदी अलैहिस्सलाम के पिता और हज़रत नरजिस आपकी माता हैं। इस्लामी और आसमानी धर्मों की पुस्तकों में आया है कि महा मुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम दुनिया के अंतिम समय में प्रकट होकर ईश्वरीय वचन को व्यवहारिक बनायेंगे। महा मुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम पूरे विश्व से अत्याचारी सरकारों का अंत कर देंगे और ईश्वर के आदेश से पूरे संसार में न्याय व शांति स्थापित करेंगे। महा मुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सरकार में विश्व में समस्त मनुष्यों को अपनी वास्तविक प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।
मनुष्य समस्त प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ प्राणी है और महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने किसी भी प्राणी के पैदा करने पर गर्व नहीं किया। यदि गर्व किया है तो उसने मनुष्य के पैदा करने पर किया है। महान ईश्वर ने मनुष्य को ज़मीन पर अपना प्रतिनिधि बनाया है और उसने मनुष्य का स्थान इतना महत्वपूर्ण बताया है कि वह फरिश्तों से भी श्रेष्ठ है।
प्रतिष्ठा मनुष्य की प्रवृत्ति का भाग है। पवित्र क़ुरआन की आयतों में बारम्बार कहा गया है कि मनुष्य समस्त प्राणियों से श्रेष्ठ है। सूरये इसरा की ७०वीं आयत में महान ईश्वर ने हज़रत आदम और उनकी संतान को समस्त प्राणियों से श्रेष्ठ बताया है। सूरये इसरा की ७०वीं आयत में आया है” हमने आदम की संतान को श्रेष्ठता प्रदान की और उसे जल तथा थल में सवारी दी और अच्छी एवं पाक चीज़ों की उसे रोजी दी और अपने पैदा किये हुए बहुत से प्राणियों की अपेक्षा उसे श्रेष्ठता प्रदान की” दूसरी आयतों में भी इस बात पर बल दिया गया है कि जो कुछ ज़मीन और आसमान में है सबको मनुष्य के लिए पैदा किया गया है और यह स्वयं मनुष्य का दूसरे प्राणियों व वस्तुओं पर श्रेष्ठता का प्रमाण है। मनुष्य को जो प्रतिष्ठा प्राप्त है उसका कारण महान ईश्वर की उपासना और उसके आदेशों का पालन है। मनुष्य महान ईश्वर की उपासना एवं उसके आदेशों का पालन करके आत्मिक व आध्यात्मिक शिखर पर पहुंचता है। वह तुच्छ व अपवित्र चीजों से पवित्र हो जाता है और वास्तविक सफलता व कल्याण पर पहुंचता है यानी वही ईश्वरीय कृपा की छत्रछाया में सदैव स्वर्ग में जीवित रहता है और उसे कभी भी मौत नहीं आयेगी और स्वर्ग में उसे हर प्रकार की अनुकंपा प्राप्त होगी।
यद्यपि अंरराष्ट्रीय मानवाधिकार घोषणापत्र में मनुष्यों की प्रतिष्ठा पर बल दिया गया है परंतु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि इस संबंध में न केवल अब तक कोई गम्भीर प्रयास नहीं किया गया है बल्कि मनुष्य अपनी वास्तविक प्रतिष्ठा से दूर रह गया है। इस आधार पर मनुष्य को अपनी वास्तविक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए आधारभूत भूमिका एवं परिवर्तन की आवश्यकता है। आज पूरी दुनिया और समस्त राष्ट्रों व धर्मों के अनुयाइयों के मध्य मानवीय प्रतिष्ठा को जीवित करने और परिवर्तन उत्पन्न करने के लिए एक मुक्तिदाता के अस्तित्व की आवश्यकता का आभास किया जा रहा है। ईश्वरीय धर्म इस्लाम में यह मुक्तिदाता पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम हैं। यह वह महान हस्ती है जो विश्व में अन्याय को समाप्त करने, दुनिया को न्याय व शांति से भर देने और मनुष्य को उसकी वास्तविक प्रतिष्ठा दिलाने के लिए अंतिम समय में लोगों की नज़रों के सामने आयेगी और समाज में महाक्रांति लायेगी। इस महान हस्ती के प्रकट होने से मनुष्य के पूरिपूर्ण होने की दिशा की मौजूद हर प्रकार की रूकावट दूर हो जायेगी और मनुष्य की वास्तविक प्रतिष्ठा के बहाल होने की भूमि प्रशस्त हो जायेगी।
इस्लाम धर्म में पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों को मनुष्यों का मार्ग दर्शक बताया गया है और इन हस्तियों ने सदैव मनुष्य के उच्च स्थान एवं उसकी प्रतिष्ठा पर ध्यान दिया है। इन महान हस्तियों के मध्य महा मुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम हैं जो दुनिया के अंतिम समय में प्रकट होगें और उनका समस्त प्रयास मनुष्यों की वास्तविक प्रतिष्ठा को बहाल करने पर केन्द्रित होगा ताकि उसकी खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त हो जाये।
इस आधार पर हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने के पश्चात एक महत्वपूर्ण कार्य बल्कि सबसे महत्वपूर्ण कार्य, मानवीय प्रतिष्ठा को प्रतिबिंबित करने के लिए आवश्यक भूमि प्रशस्त करना है। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का एक महत्वपूर्ण कार्य, मानवीय परिपूर्णता को जीवित करने के लिए प्रयास करना है। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के सत्ताकाल में मनुष्य की विभिन्न प्रकार की योग्यताओं एवं क्षमताओं को निखारने के लिए प्रयास किया जायेगा। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के सत्ताकाल में हर घर में और हर व्यक्ति तक ज्ञान का विस्तार होगा। महामुक्तिदाता के आने पर ज्ञान, अज्ञानता का स्थान ले लेगा और मनुष्य की जो प्रतिष्ठा समाप्त हो गई है उसे वह दोबारा प्राप्त कर लेगा। स्पष्ट है कि मनुष्य के भीतर प्रतिष्ठा का स्रोत, वह शिक्षा है जिसे महान ईश्वर ने मनुष्यों को प्रदान किया है और मनुष्य इन शिक्षाओं को सीख कर और उनका पालन करके प्रतिष्ठित हो जाता है। इस संबन्ध में हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम कहते हैं” ज्ञान के २७ अक्षर हैं और समस्त ईश्वरीय दूत जो कुछ लोगों के लिए लाए हैं वह दो अक्षर से अधिक नहीं है और लोगों ने अभी तक उन दो अक्षरों से अधिक नहीं सीखा है किंतु जब हमारे क़ाएम अर्थात इमाम मेहदी लोगों के समक्ष प्रकट होंगे तो २५ अन्य अक्षर भी लोगों के मध्य स्पष्ट हो जाएंगे और इन २५ अक्षरों में उन दो अक्षरों को जोड़ देंगे ताकि पूरे २७ अक्षर प्रचलित हो जाएं”
इमाम जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम के इस कथन से यह स्पष्ट हो जाता है कि इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के सत्ताकाल में शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा होगा। हम यह भी जानते हैं कि जहां भी ईश्वरीय ज्ञान का प्रकाश होगा वहां पर दूसरे मनुष्यों को हेय और तुच्छ दृष्टि से नहीं देखा जाएगा तथा मानवीय प्रतिष्ठा पर ध्यान दिया जाएगा।
बड़े खेद की बात है कि वर्तमान समय में पश्चिम की साम्राज्यवादी शक्तियां, अत्याचार, अन्याय तथा भेदभाव करके मानवीय प्रतिष्ठा यहां तक कि मनुष्यों के जीने के अधिकार की भी अनदेखी कर रही हैं जबकि महान व सर्वसमर्थ ईश्वर, मनुष्यों को सम्मान देता है और उनका आह्वान करता है कि वे एक दूसरे के भौतिक एवं आध्यात्मिक अधिकारों का सम्मान करें। वह मनुष्य को इस योग्य समझता है कि उसके बारे में न्याय को दृष्टिगत रखा जाए और किसी प्रकार का शोषण, अत्याचार व अन्याय उसके साथ न किया जाए। इस आधार पर मनुष्य के जीवन में जो चीज़ उसकी प्रतिष्ठा के जीवित होने का कारण बनती है उनमें सबसे महत्वपूर्ण न्याय की भूमिका है। न्याय के अर्थ के दृष्टिगत यदि मनुष्यों और समाजों के मध्य सही ढंग से न्याय को लागू किया जाए तो निश्चित रूप से समस्त मनुष्य मानवता के उच्च शिखर पर पहुंचेंगे। हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के सत्ताकाल में न्याय मनुष्य के जीवन के हर क्षेत्र में पूरी तरह से लागू होगा और समस्त लो न्यायपूर्ण ढंग से ईश्वर द्वारा प्रदान की गई अनुकंपाओं से लाभान्वित होंगे। इसी प्रकार पूरे संसार में न्यास फैल जाने से समस्त मनुष्य किसी प्रकार के जातीय व धार्मिक भेदभाव के बिना प्रतिष्ठित होंगे। इस आधार पर इमाम महदी अलैहिस्सलाम का सत्ताकाल वास्तव में अत्याचारी सरकारों के अंत और मानवीय प्रतिष्ठा सहित समस्त अच्छाइयों के पुनर्जीवित होने का काल होगा। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम महान ईश्वर के आदेश तथा समर्थन से महाआन्दोलन करेंगे और मानवता के समक्ष नया द्वार खोलेंगे तथा समस्त मनुष्यों को नया जीवन प्रदान करेंगे। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के सत्ताकाल में सारे लोग अपनी उस वास्तविक प्रतिष्ठा को प्राप्त कर लेंगे जिसका आधार आध्यात्म और मानवीय परिपूर्णता होगी। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम एक कृपालु पिता की भांति समस्त मनुष्यों को प्रतिष्ठित बनाएंगे। नैतिक व शिष्टाचारिक मूल्यों को परिपूर्ण करेंगे और दूसरों पर किये जाने वाले अपमान को समाप्त कर देंगे। ईश्वरीय बंदों को नया जीवन प्रदान करेंगे साथ ही सत्य की स्थापना और असत्य का अंत कर देंगे।
ईश्वरीय भय मानवीय प्रतिष्ठा को ऊंचा उठाने का एक कारक है जिसके मुक़ाबले में ईश्वर से भयभीत न होना है। यदि मनुष्यों और समाजों में ईश्वर से भय न होने की भावना व संस्कृति प्रचलित हो जाए और लोग अच्छे कार्य करना छोड़ दें तो निश्चित रूप से वे पतन की ओर जाएंगे जो मानवता के शिखर के बिल्कुल विरूद्ध है जबकि ईश्वर और समाज के निकट प्रतिष्ठा, मानवीय मूल्यों के कारण है। इस अर्थ में कि जो व्यक्ति भी ईश्वरीय मूल्यों का सम्मान करता है और अपनी वास्तिक प्रवृत्ति की सुरक्षा करता है तथा बुराइयों से दूरी करता है वही व्यक्ति प्रतिष्ठित व सज्जन होता है। महान व सर्वसमर्थ ईश्वर, पवित्र क़ुरआन में कहता है” तुममे ईश्वर के निकट सबसे अधिक प्रतिष्ठित वह है जो सबसे अधिक ईश्वर से भय रखता है”
यहां पर महान ईश्वर मानवीय प्रतिष्ठा को दूसरे ढंग से प्रस्तुत करता है, अर्थात वह प्रतिष्ठा जो प्रयास व परिश्रम से प्राप्त होती है और उसका ईश्वरीय भय से घनिष्ठ व अटूट संबन्ध होता है। प्रिय पाठको महामुक्तिदाता हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर एक बार फिर आप सबकी सेवा में हार्दिक बधाई प्रस्तुत करते हैं।
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