तौहीद और उस की दलीलें

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तौहीद और उस की दलीलें

तौहीद यानी ख़ुदा की वहदानियत क़ायल होना और उसे एक मानना। तौहीद के मुक़ाबले में शिक्र का इस्तेमाल होता है जिस का मतलब ख़ुदा वंदे आलम के कामों में किसी को शरीक मानना या बहुत से ख़ुदाओं को मानना। नबियों की दावत और उसूले दीन की पहली बुनियाद यही ‘’तौहीद’’ है। तौहीद को न मान कर शिक्र को मानना क़ुरआने मजीद की नज़र में अज़ीम ज़ुल्म है:

ان الشرک لظلم عظیم

बेशक शिक्र बहुत बड़ा ज़ुल्म है। (सुरह लुक़मान आयत 13)
अल्लाह के एक होने की दलीलें 1.जब आप पेन्टिंग (painting) की किसी नुमाईशगाह में जाते हैं तो आप की नज़र एक ऐसी पेंटिंग पर पड़ती है जो बहुत ख़ूब सूरत और अनोखी है, जब आप उसके और क़रीब जाते हैं तो देखते हैं कि उसमें एक ही तरह का नज़्म पाया जाता है और उसका हर कोना दूसरे से मिलता जुलता है और किसी तरह का इख़्तिलाफ़ उस के अंदर मौजूद नही है तो आप यक़ीन कर लेतें हैं कि उस का बनाने वाला कोई एक शख़्स है जिसने उसमें अपना हुनर दिखाया है और यह ख़ूब सूरत पेंटिंग वुजूद में आ गई। इस लिये कि अगर उसके बनाने वाले एक से ज़्यादा होते तो कहीं कहीं उस में इख़्तिलाफ़ वुजूद में आ ही जाता।

यह दुनिया भी ऐसी ही एक अज़ीम पेटिंग हैं जिस का बनाने वाला ख़ुद ख़ुदा है और चुँकि इस दुनिया में एक ही निज़ाम पाया जाता है लिहाज़ा मानना पड़ेगा कि ख़ुदा भी एक है जिसने इस निज़ाम को क़ायम किया है। दानिशवरों का भी यह कहना है कि दुनिया एक ही निज़ाम के तहत चल रही है।

हिशाम बिन हकम ने इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) से सवाल किया: ख़ुदा के एक होने की दलील क्या है?

फ़रमाया: दुनिया की चीज़ों का एक दूसरे से जुड़े होना और मख़लूक़ात का कामिल होना ख़ुदा के एक होने की दलील है।[1] इस हदीस में इमाम (अ) ने दुनिया पर एक ही निज़ाम के हाकिम होने को ही ख़ुदा की वहदानियत की दलील बताया है।

2.अल्लाह के एक होने की दूसरी दलील यह है कि जितने भी नबी आये, सब ने एक ख़ुदा की तरफ़ दावत दी और किसी ने भी यह नही कहा कि हम किसी दूसरे ख़ुदा की तरफ़ से आये हैं। हर नबी ने अपने बाद आने वाले नबी के बारे में ख़बर दी है, हज़रत मूसा (अ) ने हज़रत ईसा (अ) और हज़रत ईसा (अ) ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) के बारे में ख़बर दी है जिस से मालूम होता है कि नबुव्वत का सारा सिलसिला एक ही ख़ुदा पर ख़त्म होता है और अगर बहुत से ख़ुदा होते तो मूसा (अ) कहते कि मैं किसी और ख़ुदा की तरफ़ से आया हूँ, ईसा (अ) कहते कि मैं किसी और ख़ुदा की तरफ़ से आया हूँ, इसी तरह पैग़म्बरे अकरम (स) कहते कि मेरा ख़ुदा मूसा और ईसा के ख़ुदा से अलग है।

इन दो दलीलों के अलावा भी बहुत सी दलीलें बड़ी किताबों में मौजूद हैं जिन से मालूम होता है कि ख़ुदा सिर्फ़ एक है।
ख़ुलासा 

-तौहीद यानी ख़ुदा को एक मानना, तौहीद के मुक़ाबले में शिर्क है जो क़ुरआने करीम की नज़र में अज़ीम ज़ुल्म है।

-कायनात में एक ही निज़ाम की हुक्मरानी इस बात की दलील है कि जिस ख़ुदा ने यह निज़ाम क़ायम किया है वह भी एक है।

-अल्लाह के एक होने की दूसरी दलील यह है कि सारे नबी इसी बात के दावेदार थे कि हम एक ही ख़ुदा की तरफ़ से भेजे गये हैं।

 

सवालात

1.तौहीद का क्या मतलब है?
2.पूरी कायनात में एक ही निज़ाम का हाकिम होना किस बात की दलील है? कैसे?
3.क्या सारे नबियों के ख़ुदा अलग अलग थे?

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[1]. तौहीदे शेख सदूक़ पेज 250

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