तीन साल कि उम्र में हुज्जतुल्लाह होने का दावा

तीन साल कि उम्र में हुज्जतुल्लाह होने का दावा

तारीख़ व सिरत की किताबों से मालूम होता है कि आप की परवरिश का काम जनाबे जिबराईल अलैहिस्सलाम के सुपुर्द था और वही आपकी परवरिश करते थे। ज़ाहिर है कि जो बच्चा विलादत के वक़्त कलाम कर चुका हो और जिसकी परवरिश जिबराईल जैसे मुक़र्ब फ़रिशते के सुपुर्द हो, वह यक़ीनन दुनिया में चन्द दिन ग़ुज़र जाने के बाद, बहर सूरत इस सलाहियत का मालिक हो सकता है कि अपनी ज़बान से हुज्जतुल्लाह होने का दावा कर सके।
अल्लामा अरदबेली लिखते है कि इब्ने इसहाक़ और साद अल अशकरी एक दिन हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में हाज़िर हुए और उन्होने ख़्याल किया कि आज इमाम से यह दरयाफ़्त करेंगे कि आप के बाद हुज्जतुल्लाह फ़ी अल अर्ज कौन होंगे ? जब इमाम अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात हुई तो इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि ऐ अहमद ! तुम जो दिल में ले कर आये हो, मै उसका जवाब तुम्हें देता हूँ, यह फ़रमा कर आप अपने मक़ाम से उठे और अन्दर जाकर इस हालत में वापस आये कि आप के कँधे पर एक निहायत ख़ूबसूरत बच्चा था, जिस की उम्र तीन साल की थी। आपने फ़रमाया ऐ अहमद! मेरे बाद हुज्जते ख़ुदा यह होगा। इसका नाम मुहम्मद और इसकी कुन्नियत अबुल क़ासिम है और यह ख़िज़्र कि तरह ज़िन्दा रहेगा और ज़ुलक़रनैन की तरह सारी दुनिया पर हुकूमत करेगा। अहमद इब्ने इसहाक़ ने कहा मौला! कोई ऐसी अलामत बता दीजिये जिससे दिल को इतमिनाने कामिल हो जाए। आपने महदी की तरफ़ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया, बेटा इसका तुम जवाब दो ! इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने कमसिनी के बावजूद बाज़बाने फ़सीह में फ़रमाया- अना हुज्जतुल्लाह व बक़ियतुल्लाह यानी मै ही ख़ुदा की हुज्जत और हुक्मे ख़ुदा से बाक़ी रहने वाला हूँ। एक वह दिन आयेगा जिस में मै ख़ुदा के दुश्मनों से बदला लूँगा। यह सुन कर अहमद ख़ुश व मसरूर हो गए।
(कशफ़ुल ग़ुम्मा सफ़ा 138)

नई टिप्पणी जोड़ें