हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के असहाब की विशेषताएं

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के असहाब  की विशेषताएं

 

1- हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम उनके इन्तेज़ार में है।

ज़हूर के वक़्त इससे पहले कि वह काबे के पास जाये और काबे से लग कर खड़े हों और अपनी बलन्द आवाज़ को पूरी दुनिया के लोगों तक पहुँचाये, ज़ी तवा नामक जगह पर अपने 313 ख़ास असहाब के इन्तेज़ार में रुकेगें ताकि वह आकर इमाम से मिल लें ......वहाँ से फिर वह इमाम के साथ ख़ाना काबा के पास जायेंगे।

2- यह 313 असहाब पूरी दुनियाँ से इकठ्ठा होंगे।

हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि अल्लाह हज़रत क़ाइम के लिए, जंग बद्र में लड़ने वालों की तादाद (313) के बराबर इंसानों को दूर दूर के शहरों से इकठ्ठा करेगा।  

3- वह सबसे पहले इमाम की बैअत करेंगे।

रिवायत में है कि ज़हूर के वक़्त जिबरईल के बाद इमाम की बैअत करने वाले यही 313 असहाब होंगे।

इस बात पर तवज्जोह रहे कि ज़हूर के वक़्त इमाम के असहाब की तादाद 313 है लेकिन ह तादाद बढ़ती रहेगी और ज़हूर के फ़ौरन बाद ही 10000 तक पहुँच जायेगी।

4- वह बहादुर व जानिसार होंगे।

हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि " वह 313 असहाब इतने बहादुर और जानिसार होंगे कि जब दुशन जमा होकर क़ाइमे आले मुहम्मद को क़त्ल करना चाहेंगे तो यह 313 असहाब की बहादुरी के साथ हज़रत का दिफ़ा करेंगे। "

5- वह ज़मीन पर हाकिम होंगे।

हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि " ऐसा है जैसे में इमामे क़ाइम को कूफ़े के मिम्बर पर देख रहा हूँ और उनके असहाब, जंगे बद्र में मुसलमानों की तादाद के बराबर, यानी 313 उनको चारो तरफ़ से घेरे हैं। यह असहाब अल्लाह की तरफ़ से ज़मीन पर हाकिम है। "

6- वह उम्मते मादूदा हैं।

क़ुरआने करीम की आयत है कि तुम जहाँ पर भी होंगे अल्लाह तुम सबको जमा करेगा। इस आयत की तफ़्सीर करते हुए हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि अल्लाह की क़सम सूरः ए हूद में उम्मते मादूदा से मुराद वह हैं। अल्लाह की क़सम वह सब एक पलमें इस तरह जमा हो जायेंगे, जिस तरह हवा के असर से बादल जमा हो जाते हैं।

7- 313 असहाब में से 50 औरतें हैं।

हज़रत इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया है कि अल्लाह की क़सम बादलों की तरह आने वाले उन तीन सौ तेरह असहाब में 50 औरतें हैं।

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