हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़हूर की अलामतें


 

इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़हूर से पहले बेशुमार अलामतें ज़ाहिर होंगी। जब आपका ज़हूर होगा तो मग़रिब व मशरिक पर आपकी हुकूमत होगी। ज़मीन अपने तमाम ख़ज़ाने उलग देगी। दुनिया की कोई ज़मीन ऐसी बाक़ी न रहेगी, जिसको आप आबाद न कर दें। आपके ज़हूर की चंद अलामतें इस तरह हैं।

(1)   औरतें मर्दों के मुशाबेह होंगी।

(2)   मर्द औरतों जैसे होंगे।

(3)   औरतें ज़ीन जैसी चीज़ें, घोड़े, साईकिलों, स्कूजटरों, कारों वग़ैरा पर सवारी करने लगेगीं।

(4)   नमाज़ जान बुझ कर क़ज़ा की जाने लगेगी।

(5)   लोग खाहिशाते नफ़सानी की पैरवी करने लगेंगें।

(6)   क़त्ल करना मामूली चीज़ समझा जायेगा।

(7)   सूद का ज़ोर होगा।

(8)   ज़िना आम होगा।

(9)   अच्छी अच्छी इमारतें बहुत बनेगीं।

(10)     झूठ बोलना हलाल समझा जायेगा।

(11)     रिश्वत आम होगी।

(12)     शहवते नफ़सानी की पैरवी की जायेगी।

(13)     दीन को दुनिया के बदले बेचा जायेगा।

(14)     अज़ीज़दारी कि परवाह न की होगी।

(15)     अहमक़ो को आमिल बनाया जायेगा।

(16)     बुर्दबारी को बुज़दिली व कमज़ोरी समझा जायेगा।

(17)     जुल्म फ़ख़्र के तौर पर किया जायेगा।

(18)     बादशाह व उमरा फ़ासिक़ो फ़ाज़िर होंगे।

(19)     वज़ीर झूठे होंगे।

(20)     अमानतदार ख़ाइन होंगे।

(21)     हर एक मददगार ज़ुल्म परवर होगें।

(22)     क़ारियाने क़ुरआन फ़ासिक़ होंगे।

(23)     जुल्म व जौर आम होगा।

(24)     तलाक़ बहुत ज़्यादा होगी।

(25)     फ़िसक़ो फ़ुजूर नुमायाँ होगें।

(26)     फ़रेबी की गवाही क़ुबूल की जायेगी।

(27)     शराबी नोशी आम होगी।

(28)     अग़लाम बाज़ी (समलैंगिक्ता) का जोर होगा।

(29)     सहक़, यानी औरतों औरतों के ज़रिये शहवत की आग बुझायेंगी।

(30)     माले ख़ुदा व रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम को माले ग़नीमत समझा जायेगा।

(31)     सदक़े व ख़ैरात से नाजायज़ फ़ायदा उठाया जायेगा।

(32)     शरीरों की ज़बान के ख़ौफ़ से नेक बन्दे खांमोश रहेंगें।

(33)     शाम से सुफ़यानी का ख़ुरूज होगा।

(34)     यमन से यमानी बरामद होगा।

(35)     मक्के और मदीने के दरमियान मक़ामे लुद की ज़मीन धंस जायेगी।

(36)     रुक्न और मक़ाम के दरमियान आले मुहम्मद की एक मोअज़्ज़ि फ़र्द क़त्ल होगी।

(37)     बनी अब्बास में शदीद एख़तेलाफ़ होगा।

(38)     15 शाबान को सूरज गरहन और इसी माह के आख़िर में चाँद गरहन होगा।

(39)     ज़वाल के वक़्त आफ़ताब अस्र के वक़्त तक क़ायम रहेगा।

(40)     मग़रिब से आफ़ताब निकलेगा।

(41)     नफ़्से ज़किया और सत्तर सालेहीन का क़त्ल होगा।

(42)     मस्जिद कूफ़ा की दीवार ख़राब व बरबाद का दी जायेगी।

(43)     ख़ुरासान की जानिब से सियाह (काले) झंडे बरामद होगें।

(44)     मिस्र में एक मग़रिबी का ज़हूर होगा।

(45)     तुर्क ज़ज़ीरे में होगें।

(46)     रूम रमले में पहुँच जायगें।

(47)     शरिक़ में एक सितारा निकलेगा जिसकी रौशनी मग़रिब तक फ़ैलेगी।

(48)     एक सुर्खी ज़ाहिर होगी जो आसमान और सूरज पर ग़ालिब आजायेगी।

(49)     मशरिक़ से एक ज़बर दस्त आग भड़केगी जो तीन या सात रोज़ बाक़ी रहेगी और शिब्लन्जी की रिवायत के मुताबिक़ वह आग मग़रिब तक फ़ैल कर आलम को तहस नहस कर देगी।

(50)     अरब मुख़्तलिफ़ बिलाद पर क़ाबु पा लेगें और अजम के बादशाह को मग़लूब कर देंगें।

(51)     मिस्री अपने बादशाह और हाकिम को क़त्ल कर देगें।

(52)     शाम तबाह व बरबाद हो जायेगा।

(53)     क़ैस व अरब के झनंडे मिस्र पर लहराएगें।

(54)     ख़ुरासान पर बनी कन्दा का परचम लहरायगा।

(55)     फ़ुरात का पानी इस दरजा चढ़ जायेगा कि कूफ़े के गली कूँचों में पानी होगा।

(56)     60 नुबुव्वत के दावेदार ज़ाहिर होंगें।

(57)     13 नफ़र औलादे अबूतालिब से दावाए इमामत करेगें।

(58)     बनी अब्बास का एक अज़ीम शख़्स ब मक़ाम हलवलाद ख़ानक़ैन नज़रे आतिश किया जायेगा।

(59)     बग़दाद में क़रख़ जैसा पुल बनाया जायेगा।

(60)     सियाह आंधी का आना।

(61)     ज़लज़लों का आना।

(62)     अक्सर मक़ामात पर ज़मीन का धंस जाना।

(63)     नागहानी मौतों का ज्यादा होना।

(64)     जानो माल व समारात (फ़लों) की तबाही।

(65)     चींटियों और टिड्डियों की कसरत, जो खेती को खा जायें।

(66)     ग़ल्ले का कम उगना।

(67)     आपस में क़त्ल व खून की कसरत।

(68)     अपने सैयदों से लोगों का नाफ़रमान होना।

(69)     अपने सरदारों को क़त्ल करना।

(70)     बाज़ गिरोह का सुअर और बन्दर की सूरत में मस्ख़ होना।

(71)     आसमान से एक आवाज़ का आना जिसे तमाम अहले ज़मीन सुनेंगें।

(72)     आसमानी आवाज़ का हर ज़बान बोलने वाले के कान में उसी की ज़बान में पहुँचना।

(73)     बाज़ सूरतों का मकामें ऐनुश-शम्स में ज़ाहिर होना।

(74)     24 चौबीस बारिशों का पै दर पै होना।

(75)     ज़मीन का जिन्दा हो कर अपने तमाम मालूमात ज़ाहिर करना।

(76)     अच्छाई और बुराई एक नज़र से देखी जायेगी।

(77)     बुराई का हुक्म अपनी औलाद को दिया जायेगा और अच्छाई से रोका जायेगा।

(78)     लालच की वजह से बातिन ख़राब हो जायगें।

(79)     ख़ौफ़े ख़ुदा दिल से निकल जायेगा।

(80)     क़ुरआन का सिर्फ़ निशान रह जायेगा।

(81)     मस्जिदें आबाद मगर हिदायत से ख़ाली होंगीं।

(82)     फ़क़ीह फ़ितना परवर होंगें।

(83)     औरतों से मशवेरा लिया जायेगा।

(84)     खुले आम गुनाह किये जायेंगे।

(85)     बद अहदी आम होगी।

(86)     औरतों को तिजारत में शरीक किया जायेगा।

(87)     ज़लील तरीन शख़्स, क़ौम का सरदार होगा।

(88)     गाने वालियों का ज़ोर होगा।

(89)     उस ज़माने के लोग अगलों पर बिला वजह लानत करेंगें।

(90)     झूठी गवाहियाँ दी जायेगी। (हक़ ख़त्म हो जायेगा)।

(91)     क़ुरआन एक कोहना (पुरानी) किताब समझी जायेगी।

(92)     दीन अँधा कर दिया जायेगा।

(93)     बदकारी एलान के साथ की जायेगी।

(94)     फ़सक़ व फ़ुजूर में जिसकी मदह की जायेगी ख़ुश होगा।

(95)     लड़के औरतों की तरह उजरत पर इस्तेमाल होंगे।

(96)     मासियत पर माल ख़र्च करने वालों को टोका न जायेगा।

(97)     हमसाया हमसाये को अज़ियत देगा।

(98)     नेकी का हुक्म करने वाला ज़लील होगा।

(99)     नेकी के रास्ते छोड़ दिये जायेगें।

(100)  बैतुल्लाह मोत्तल कर दिया जायेगा।

 

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