हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के तूले उम्र की बहस

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के तूले उम्र की बहस

 

बाज़ मुस्तशरेक़ीन व माहेरीन आमार का कहना है कि जिनके आमाल व किरदार अच्छे होते हैं और जिनका सफ़ाहे बातिन कामिल होता है उनकी उमरें तवील होती हैं। यही वजह है कि उलमा और सुलाहा की उमरें अक्सर तवील देखी गयी हैं। हज़रत मेहदी अलैहिस्सलाम की तवील उम्र की एक वजह यह भी हो सकती है। इन से क़ब्ल जो आइम्मा अलैहिमु अस्सलाम गुज़रे उन्हें शहीद कर दिया गया और इन तक दुशमन पहुँच न सका, तो यह जिन्दा रह गये और अब तक बाक़ी हैं। लेकिन मेरे नज़दीक उम्र का तक़र्रुर व ताय्युन दस्ते ईज़दी में है, उसे इख्तेयार है कि किसी की उम्र कम रखे या किसी का ज़्यादा उसकी मोय्यन करदा उम्र में एक साल का भी तफ़रक़ा नही हो सकता।

तवारीख़ व अहादीस से मालूम होता है कि ख़ुदा वन्दे आलम ने बाज़ लोगों को काफ़ी तवील उमरें अता की हैं। उम्र  का ज़्यादा होना मसलहते ख़ुदा वन्दी पर मबनी है। इस से उसने अपने दोस्त और दुश्मन दोनों को नवाज़ा है। दोस्तों में हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम हज़रते इदरीस, हजरते ख़िज़्र, हज़रते इलयास और दुशमनों  में इबलीस लईन, दज्जाल व बताल, याजूजो माजूज वग़ैरा हैं। चूँकि क़ियामत इस्लाम के उसूले दीन में से है और इसकी आमद में इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ज़हूर ख़ास हैसियत रखता है। लिहाज़ा उनका जिन्दा व बाक़ी रहना मक़सद रहा हो, और उनके तवील उम्र के एतेराज़ को रद और रफ़ा दफ़ा करने के लिये उसने बहुत से अफ़राद की उमरें तवील कर दी हों। मज़कूरा अफ़राद को जाने दीजिये, आम इनंसानों की उमरों को ह देखिये बहुत से ऐसे लोग मिलेंगे जिन की उमरे कफ़ी तवील हुई हैं, मिसाल के लिये मुलाहेज़ा होः

(1)                लुक़मान की उम्र 3500 साल।

(2)                औज बिन औक़ की उम्र 3300 साल। और बक़ौल 3600 साल।

(3)                जुलकरनैन की उम्र 3000 साल।

(4)                हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की उम्र 900 साल।

(5)                ज़हाक़ की उम्र 1000 साल।

(6)                तमहूरस की उम्र 1000 साल।

(7)                कीनान की उम्र 900 साल।

(8)                महलाईल की उम्र 800 साल।

(9)                नफ़ील बिन अब्दुल्लाह की उम्र 700 साल।

(10)           रबी बिन उमर उर्फ़ काहिन की उम्र 600 साल।

(11)           हाकिमे अरब आमिर बिन ज़रब की उम्र 500 साल।

(12)           साम बिन नूह की उम्र 500 साल।

(13)           हरस बिन ज़र हमी की उम्र 400 साल।

(14)           अरमख़्शद की उम्र 400 साल।

(15)           दरीद बिन ज़ैद की उम्र 456 साल।

(16)           सलमान फ़ारसी का उम्र 400 साल।

(17)           उमर बिन दुसी की उम्र 400 साल।

(18)           ज़हैर बिन जनाब बिन अब्दुल्लाह की उम्र 430 साल।

(19)           हरस बिन ज़यास की उम्र 400 साल।

(20)           काब बिन ज़मज़ा की उम्र 390 साल।

(21)           नसर बिन धमान की उम्र390 साल।

(22)           क़ैस बिन साद की उम्र 380 साल।

(23)           उमर बिन रबी की उम्र 333 साल।

(24)           अक़्सम बिन ज़ैफ़ी की उम्र 336 साल।

(25)           उमर बिन तुफ़ैल की उम्र 200 साल थी।

(ग़ायतुल मक़सूद सफ़ा, 130 आलामुल वरा सफ़ा170)

इन लोगों की तवील उमरों को देखने के बाद यह हरगिज़ नही कहा जा सकता कि चूँकि इतनी उमर का इंसान नही होता, इस लिए हम इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वजूद को तसलीम नही करते। क्योंकि इमाम महदी अलैहिस्सलाम की उम्र इस वक़्त 1396 हिजरी में सिर्फ़ गयारह सौ अड़तालीस साल की होती है, जो मज़कूरा उमरों में है। लुक़मान हकीम और ज़ुलक़रनैन जैसे मुक़द्दस लोगों की उमरों से बहुत कम हैं।

अलग़रज़ क़रआने मजीद, अक़वाले उलमा – ए- इस्लाम और अहादीस से यह साबित है कि महदी अलैहिस्सलाम पैदा होकर ग़ायब हो गये हैं और  क़ियामत के क़रीब ज़हूर करेंगें। आप  ग़ैबत के ज़माने में भी उसी तरह हुज्जते ख़ुदा हैं जिस तरह बाज़ अम्बिया अपने अहदे नुबुव्वत में ग़ायब होने के दौरान भी हुज्जत थे।

(अजाएब अल क़सस सफ़ा 191)

अक़्ल भी यही कहती है कि आप ज़िन्दा, बाक़ी और मौजूद हैं। क्योंकि आपके के पैदा होने पर उलमा – ए- इस्लाम का इत्तेफ़ाक़ है और वफ़ात का कोई एक भी ग़ैर मुतास्सिब आलिम क़ायल नही है। तवीलुल उम्र इंसानों के मौजूद होने की मिसालें भी मौजूद है। लिहाज़ा ला मुहाला आपके मौजूद और बाक़ी होने को तस्लीम करना पड़ेगा। मंतिक़ी दलील से भी यही साबित होता है। लिहाज़ा इमाम महदी अलैहिस्सलाम मौजूद और बाक़ी हैं।

इन तमाम शवाहिद और दलाइल की मौजूदगी में जिनका हमने इस किताब में ज़िक्र किया है, मौलवी मुहम्मद अमीन मिस्री का रिसाला “ तूले इस्लाम ” कराची जिल्द 14 सफ़ा 45 व सफ़ा 94 में यह कहना कि

“ शियों को इब्तेदाअन रूए ज़मीन पर कोई ज़ाहेरी ममलेकत क़ाइम करने में कामयाबी न हो सकी, इनको तकलीफ़ें दी गई और परागन्दा और मुन्तशिर कर दिया गया, तो उन्होंने हमारे ख़्याल के मुताबिक़ इमामे मुन्तज़र और इमामे महदी अलैहिस्सलाम वग़ैरा के पुर उम्मीद अक़ाइद ईजाद कर लिये ताकि अवाम की ढासर बँधी रहे। ”

और मुल्ला आख़ुवन्द दरवेज़ा का किताब इरशाद उत तालेबैन, सफ़ा 396 में यह फ़रमाना किः

“ हिन्दुस्तान में एक शख़्स अब्दुल्ला नामी पैदा होगा जिसकी बीवी अमीन (आमना) होगी। उसके एक लड़का पैदा होगा, जिसका नाम मुहम्मद होगा। वही कूफ़े जा कर हुकूमत करेगा। लोगों का यह कहना दुरुस्त नहीं कि इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम वही हैं जो इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के फ़रज़न्द हैं। ” यह हद दरजा मज़हक़ा ख़ेज़, अफ़सोसनाक और हैरत अंगेज़ है। क्योंकि उलमा – ए- फ़रीक़ैन का इत्तेफ़ाक़ है कि “ अल महदी मिन वुलदिल अल इमाम अल हसन अल असकरी ” इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के बेटे हैं और 15 शाबान 255 हिजरी को पैदा हो चुके हैं। मुलाहेज़ा हो,

औसाफ़ उर राग़ेबीन, दफ़यातुल अयान, रौज़तुल अहबाब, तारीखे इब्नुल वरदी, यनाबी उल मवद्दा, तारीख़े कामिल, तारीख़े तबरी, अबसार, उसूले काफ़ी, कशफ़ुल ग़ुम्मा, जिला उल अयून, इरशादे मुफ़ीद, आलामुल वरा, जाम ए अब्बासी, सवाइक़े मुहर्रेक़ा, मतालेबुल सुवेल, शवाहेदुन नबुव्वत, अरजहुल मतालिब, बिहार उल अनवार, मनाक़िब वग़ैरा।

 

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