प्रसिद्ध ईसाई प्रचारक का क़ुरआन के बारे में दृष्टि

 

वर्तमान समय में संसार के बड़े संचार माध्यम अपने बहुआयामी और व्यापक प्रचारों द्वारा इस्लाम धर्म की अवास्तविक छवि को प्रस्तुत करने और पवित्र क़ुरआने मजीद को अतीत की जातियों से संबंधित ग्रंथ बताने की चेष्टा कर रहे हैं। विश्व की बड़ी शक्तियां अत्याधुनिक प्रचार माध्यमों और विभिन्न प्रकार की धमकियों का प्रयोग करके मुसलमानों को कमज़ोर दिखाना और संसार में इस्लाम धर्म के प्रभाव को कम करना चाहते हैं। ऐसी ही स्थिति में यह देखा गया कि ईश्वर का यह महाप्रकाश और हतप्रभ करने वाला चमत्कार बहुत ही शांति और आश्चर्यजनक ढंग से अपनी सच्चाई को सबके सामने स्पष्ट करता है। सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय ग्रंथ और परिपूर्ण क़ानून के रूप में पवित्र क़ुरआन ने लोगों की बुद्धियों को हतप्रभ व लोगों को प्रशंसा और वाह वाह करने पर विवश कर दिया है।

कनाडा निवासी और विश्वविद्यालय की शोध टीम के सदस्य डाक्टर गैरी मिलर वर्षों से ईसाई धर्म के अनुयायी रहे और ईसाई धर्म के बहुत ही सक्रिय प्रचारक समझे जाते थे। डाक्टर गैरी मिलर को तार्किक और तर्क संगत मामलों से बहुत अधिक रूचि थी। आरंभ में उन्होंने सोचा कि 14 शताब्दियों पूर्व उतरने वाले पवित्र क़ुरआन ने केवल अतीत के मामलों पर ही प्रकाश डाला होगा। पश्चिमी देशों में इस्लाम धर्म की ओर रूझहान की व्यापक लहर के कारण उन्होंने पवित्र क़ुरआन का अध्ययन करने का निर्णय किया और उन्होंने अपने विचार में गहरे व सूक्षम अध्ययन द्वारा क़ुरआन की ग़लतियों को निकालने और इस प्रकार से इसके ग़लत होने को सिद्ध करने का फ़ैसला किया।

डाक्टर गैरी मिलर कहते हैं कि उस दिन से मैंने क़ुरआन का अध्ययन आरंभ कर दिया ताकि उसकी ग़लतियों को ढूंढू और अपने इस कार्य से मुसलमानों के निकट ईसाईयों के स्थान को ऊंचा करूं। चूंकि मैंने सोचा कि चौदह शताब्दी पूर्व मरूस्थल में उतरने वाले क़ुरआन को प्राचीन और ग़लतियों से भरा हुआ होना चाहिए किन्तु मैंने जितना अधिक क़ुरआन का अध्ययन किया, मेरे सामने सच्चाई और वास्तविकता के ऐसे द्वार खुलने लगे जिन्होंने मुझे हतप्रभ कर दिया। न मानते हुए भी मैं यह समझ गया कि इस ईश्वरीय ग्रंथ में किसी प्रकार की कोई ग़लती नहीं है। मैंने यह बात स्वीकार कर ली कि पवित्र क़ुरआन ने बहुत से ऐसे मामले उठाए हैं जिसका अन्य ईश्वरीय ग्रंथों में उल्लेख तक नहीं है। इस ईश्वरीय ग्रंथ ने मेरे आश्चर्य को दोगुना कर दिया और मैं पवित्र क़ुरआन का पूर्णरूप से बहुत गहन अध्ययन करने पर विवश हो गया। क़ुरआन का अध्ययन करते हुए मैं सूरए निसा की आयत संख्या 82 पर पहुंचा जिसमें ईश्वर अपने बंदो को संबोधित करते हुए कहता है कि क्या वे क़ुरआन के अर्थों के बारे में चिंतन मनन नहीं करते यदि यह ईश्वर के अतिरिक्त किसी और की ओर से होता तो इसमें गलतियां बहुत अधिक होतीं।

अलबत्ता यह पहली बार नहीं है कि एक ग़ैर मुसलमान पवित्र क़ुरआन की सत्यता, ताज़गी, प्रफुल्लता और वैभव का गुणगान करे, पवित्र क़ुरआन ऐसा समुद्र है जिसकी कोई तह नहीं है और कोई भी इसके समस्त आयामों और पहलुओं को समझ नहीं सकता और न ही चर्चा कर सकता है। यह ईश्वरीय ग्रंथ जीवन का क़ानून है और व्यापकता और सूक्ष्मता की दृष्टि से अनंत है। चौदह शताब्दी पूर्व से ही विशेषज्ञों और विचारकों ने विभिन्न प्रकार की क्षमताओं के साथ ज्ञान और परिज्ञान के इस समुद्र में डुबकी लगायी किन्तु अभी तक इसके गुप्त रहस्यों का पता भी न लगा सके। इसीलिए वह ईश्वर की महानता और उसके वैभव की प्रशंसा करने लगे और क़ुरआन की इस आयत पर उनका ईमान और भी सुदृढ़ हो जाता है जिसमें ईश्वर अपने प्यारे पैग़म्बर को संबोधित करते हुए कहता है कि विभूतियों वाला है वह ईश्वर जिसने अपने बंदे पर क़ुरआन उतारा है ताकि वह पूरे संसार के लिए ईश्वरीय प्रकोप से डराने वाला बन जाए।

पश्चिमी विचारक और गणित्ज्ञ प्रोफेसर डाक्टर मिलर जो स्वयं यह जानते हैं कि वर्तमान समय में शिक्षा और विज्ञान के जाने माने सिद्धांतों में से एक, वास्तविकता को समझने के लिए भिन्न और अलग-अलग दृष्टिकोणों और मतों की समीक्षा करना और उनको पहचानना है। वे कहते हैं कि पवित्र कुरआन अपनी स्पष्ट और सुदृढ आयतों द्वारा लोगों को अपनी आयतों में चिंतन मनन करने का निमंत्रण देता है। यह ऐसी स्थिति में है कि संसार में कोई भी लेखक ऐसा नहीं है जो पुस्तक लिखे और बहुत ही विश्वास के साथ लोगों से यह इच्छा व्यक्त करे कि उसकी ग़लतियों को निकालें।

प्रोफ़ेसर मिलर कहते हैं कि कुरआन पढ़ने के दौरान मुझे यह अपेक्षा थी कि पैग़म्बरे इस्लाम के साथ घटने वाली विभिन्न घटनाओं का उल्लेख पवित्र क़ुरआन में किया गया होगा। जैसे उनकी पत्नी हज़रत ख़दीजा के देहांत और उनके बच्चों के जीवन की घटनाओं का क़ुरआन में अवश्य ही उल्लेख हुआ होगा किन्तु मेरी अपेक्षा के बिल्कुल विपरीत जैसे ही मेरी नज़र मरियम नामक सूरे पर पड़ी मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। इस सूरे में हज़रत मरियम की पवित्रता, स्थान और उनके वैभव का उल्लेख किया गया है। यह ऐसी स्थिति में है कि इंजील और तौरैत में हज़रत मरियम के लिए कोई विशेष सूरा ही नहीं है। इसके अतिरिक्त पवित्र क़ुरआन में 25 बार हज़रत ईसा के नाम का उल्लेख किया गया है जबकि पैग़म्बरे इस्लाम के नाम का उल्लेख पांच बार से अधिक नहीं है यहां तक कि पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री और पत्नी के नाम तक का कोई सूरा नहीं है।

इस पश्चिमी विचारक ने सोचा कि संभव है कि वह कुछ भ्रांति का शिकार हो गया हो, उसने दोबारा क़ुरआन की ग़लतियों को निकालने का प्रयास आरंभ किया किन्तु जिस दूसरी आयत ने उनके ध्यान को अपनी ओर खींच लिया वह सूरए अंबिया की आयत नंबर 30 थी जिसमें सर्वसमर्थ ईश्वर कहता है कि क्या इन काफ़िरों ने यह नहीं देखा कि ज़मीन व आसमान आपस में जुड़े हुए थे और हमने उनको अलग किया और हर जानदार को पानी से पैदा किया है।

डाक्टर गैरी मिलर का कहना है कि यह आयत विज्ञान का वही विषय है जिसको सिद्ध करने वाले को वर्ष 1973 में नोबुल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वास्तव में यह आयत सितारों, आसमानों और सृष्टि के असित्व में आने वाले बिगबैंग दृष्टिकोण को बयान करती है। इस आयत के अंतिम भाग में पानी को जीवन का स्रोत बताया गया है और यह मामला सृष्टि के उन्हीं अचंभों में से एक है जिसे वर्तमान ज्ञान ने हाल ही में सिद्ध किया है। वर्तमान ज्ञान में यह बात सिद्ध हो चुकी है कि जीवित सेल, साइटोप्लाज़्म से बनते हैं और साइटोप्लाज़्म का मुख्य भाग पानी होता है। इस आयत के अध्ययन से धर्मांधियों के उन झूठे दावों की पोल खुल जाती है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि यह क़ुरआन पैग़म्बरे इस्लाम (स) की अपनी सोच का परिणाम है। यह कैसे संभव है कि पैग़म्बर इस्लाम जिन्होंने शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी गुरू के आगे घुटने नहीं टेके और किसी से लिखना पढ़ना नहीं सीखा किस प्रकार चौदह सौ वर्ष पूर्व सृष्टि की रचना करने वाले पदार्थ और गैस के बारे में बातें करें

अंततः श्री गैरी मिलर व्यापक अध्ययन के बाद इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लेते हैं। वे वर्तमान समय में पवित्र क़ुरआन के वैज्ञानिक चमत्कारों के बारे में अपने आलेखों को प्रस्तुत करके इस्लाम धर्म का प्रचार कर रहे हैं। आश्चर्य जनक क़ुरआन, क़ुरआन और ईश्वरीय ग्रंथों में अंतर और शुभ सूचना की शैलियों के बारे में इस्लामी दृष्टिकोण, इस्लाम के बारे में लिखी श्री मिलर की उल्लेखनीय पुस्तकें हैं।
डाक्टर मिलर पवित्र क़ुरआन के चमत्कारों और वैभव को बयान करते हुए दूसरे विषयों की ओर भी संकेत करते हैं और कहते हैं कि पवित्र क़ुरआन के चमत्कारों में से एक, मनुष्यों के सामने भविष्य में आने वाले ख़तरों को पेश करना है। ऐसे ख़तरे जिनके पूर्वानुमान की शक्ति मनुष्य के पास है ही नहीं। क्योंकि मनुष्य सही ढंग से हर चीज़ को केवल अनुभव द्वारा समझ नहीं सकता। पवित्र क़ुरआन मुसलमानों के मित्रों और शत्रुओं के बारे में बताता है और लोगों को अनेक ईश्वरवादियों से मित्रता करने से रोकता है। इसके अतिरिक्त क़ुरआन की अद्वितीय शैली यह है कि वह निर्धारित और स्पष्ट सूचनाएं और बातें, मनुष्यों के समक्ष प्रस्तुत करता है। पवित्र क़ुरआन अपने पढ़ने वालों का ध्यान विशेष सूचनाओं की ओर आकृष्ट करता है उसके बाद नयी सूचनाओं और बातों को उनके सामने लाता है। यह ऐसी स्थिति में है कि किसी भी अन्य ईश्वरीय ग्रंथ में यह बातें प्रस्तुत ही नहीं की गयीं हैं। उदाहरण स्वरूप पवित्र क़ुरआन के सूरए आले इमरान की आयत संख्या 44 में हज़रत मरियम के पालन पोषण के लिए चिठ्ठी डालने का उल्लेख किया गया है। इस आयत में इस प्रकार आया है कि पैग़म्बर यह ग़ैब की ख़बरें हैं जिसकी वही हम आप पर कर रहे हैं और आप तो उनके पास नहीं थे जब वह चिठ्ठी डाल रहे थे मरियम का पालन पोषण कौन करेगा और आप उनके पास नहीं थे जब वह इस विषय पर झगड़ा कर रहे थे।

ईश्वरीय ग्रंथ इंजील में यदि हम किसी विषय या किसी कहानी के बारे में अधिक सूचना प्राप्त करना चाहें तो उसमें मौजूद ही नहीं है इसके लिए हमें दूसरे स्रोतों का अध्ययन करना पड़ता है। पवित्र क़ुरआन यह चैलेंज करता है कि यदि कोई उन सूचनाओं और बातों में जिसका क़ुरआन ने वर्णन किया है, संदेह करता है तो उसका उत्तर प्रस्तुत करे। पश्चिमी विचारक प्रोफ़ेसर गैरी मिलर कहते हैं कि मैंने क़ुरआन का अध्ययन करके यह जान लिया कि कोई भी क़ुरआन का उत्तर पेश करने में सक्षम नहीं है क्योंकि मूल रूप से यह सूचनाएं, मानव बुद्धि से हटकर उस सर्वसमर्थ ईश्वर की ओर से हैं जो अतीत, वर्तमान और भविष्य से पूर्ण रूप से अवगत है।

कुछ वर्ष पूर्व मुसलमान हुए डाक्टर मिलर अंत में अपने धार्मिक बंधुओं को संबोधित करते हुए यह कहते हैं कि हे मुसलमानो, आप यह नहीं जानते कि ईश्वर ने आपको किन किन विशेषताओं का उपहार दिया है और दूसरे धर्म इन विशेषताओं से वंचित हैं। ईश्वर का आभार व्यक्त करें कि आप मुसलमान हैं और मुसलमानों के साथ आपको गिना जाता है। सृष्टि की सच्चाईयों को खोजने के लिए क़ुरआन में चिंतन मनन करें। मैंने पवित्र क़ुरआन में चिंतन मनन किया और इसी चिंतन मनन के कारण मैं सफलता के द्वार खोलने जा रहा हूं।

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