बाबरी मस्जिद मामले में आडवाणी पर लटकती तलवार


पीटीआई
भारत के उच्चतम न्यायालय ने बाबरी मस्जिद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने में हुई देरी के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो से सवाल किया है।
उच्चतम न्यायालय ने बाबरी मस्जिद मामले में लाल कृष्ण आडवाणी तथा अन्य के खिलाफ़ साज़िश के आरोपों को हटाने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फ़ैसले के विरुद्ध अपील दाख़िल करने में हुई देरी के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो से सवाल किया।
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में ताज़ा हलफ़नामा दाख़िल किए जाने संबंधी सीबीआई की अपील ठुकरायी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को कई बार टाले जाने पर सीबीआई को जमकर फटकार लगाई और कहा कि ये राष्ट्रीय महत्व का मामला है, लेकिन सीबीआई इसे काफ़ी लंबा खींच रही है। कोर्ट की टिप्पणी उस समय आई जब सीबीआई ने गुरुवार को इस मामले को टालने की गुहार लगाई।

गौरतलब है कि अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में बाबरी मस्जिद गिराने के मामले पर फ़ैसला सुनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। फ़ैसला देने वाले न्यामयमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने न्यालयमूर्ति एसयू ख़ान के विपरीत लिखा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि मस्जिद को मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल में निर्मित किया गया था।
उन्होंने कहा था कि विवादित ढांचा मुसलमानों द्वारा हमेशा मस्जिद के रूप में माना गया, लेकिन यह साबित नहीं होता कि इसका निर्माण बाबर के शासनकाल में हुआ।

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