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इस वीडियों में हमने यह बताया है कि फिदक जैसा क्षेत्र किस व्यक्ति की सम्पत्ती है।
इस वीडियों में हमने यह बताया है कि हज़रत फातेमा ज़हरा (स) से फिदक कैसे और क्यों छीन लिया गया।
इस वीडियों में हमने यह बताया है कि जब हज़रत फातेमा ज़हरा (स) से फिदक जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र छीन लिया जाता है तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है।
इस वीडियों में हमने यह बताया है कि रिवायात के अनूसार फिदक हज़रत ज़हरा (स) को कैसे मिला।
इस वीडियों में हमने यह बताया है कि हज़रत फातेमा ज़हरा (स) से फिदक कैसे और क्यों छीन लिया गया।
हमारा अक़ीदह है कि पैग़म्बरे इस्लाम के असहाब में बहुत से लोग बड़े फ़िदाकार बुज़ुर्ग मर्तबा व बाशख़्सियत थे। क़ुरआने करीम व इस्लामी रिवायतों में उनकी फ़ज़ीलतो का ज़िक्र मौजूद हैं।लेकिन इस का मतलब यह नही है कि पैग़म्बर इस्लाम (स.)के तमाम साथियों को मासूम मा
हज़रत अली ने अपने बेटों के नाम अबू बकर उमर उस्मान क्यों रखा?
बनी उमय्या समर्थक नासबी कहते हैं किसी सहाबी के गलत कामों को बयान करना कुफ्र है. और उनकी आलोचना करना कुफ्र है. और इसीलिए शिया काफ़िर है अगर कुफ्र का मेयार वाकई किसी सहाबी की आलोचना करना ही है तो सबसे बड़े काफ़िर बनी उमय्या हुए जो लंबे समय तक सहाबी अली इब्न
आइम्मा और अहलेबैत (अ) ने गालीों के बारे बहुत ही सख्त रुख अख्तियार किया है बल्कि अगर यह कहा जाए तो यह ग़लत नहीं होगा कि अहले बैत (अ) ने जिस तरह ग़ुलु समस्या में गालीयों की निंदा की है ऐसी किसी समस्या में निंदा नहीं की पूरी ताकत के साथ उनका मुकाबला किया और इ
सैयदा आलम ने अपने पिता बुज़ुर्गवार रसूले ख़ुदा की मौत के 3 महीने बाद सन् 11 हिजरी क़मरी में वफ़ात पाई। अपनी इच्छा के अनुसार अपनी अंतिम संस्कार रात को करने की वसीयत की..
इस विडियों में करबला के युद्ध की ओर इशारा हुआ है जो यज़ीद और इमाम हुसैन (अ) के बीच हुआ था यह सत्य और असत्य की लड़ाई थी सच्ची जीत उसी की होती है जिसका मिशन बच जाये इमाम हुसैन का कार्य संसार के लिये था इसी कारण सभी आपकी याद मनाते हैं इसमें यह बताया गया है क
इस विडियों में इमाम हुसैन (अ) के बारे में बताया गया है, यज़ीद और आपमें क्या अन्तर है यह भी बताया गया है, इसमें इमाम हुसैन (अ) के माता पिता और आपके परिवार की महानता को बताया गया है, इसमें आपके चमत्कारों के साथ साथ आपकी विषेशताओं की ओर भी इशारा किया गया है